बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अरपा नदी के सूखने और इसके संरक्षण में लापरवाही पर गहरी चिंता जताई है। अवैध उत्खनन, परिवहन और खनिज भंडारण पर रोक के बावजूद हालात में सुधार न होने पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। इस मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने खनिज विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि वे अब तक उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करें।
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अवैध उत्खनन रोकने के प्रयासों को नाकाफी बताते हुए नाराजगी जताई। कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर द्वारा किए गए नदी संरक्षण के प्रयासों को मात्र औपचारिकता करार देते हुए कड़ी फटकार लगाई।
कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, “डीएम सफाई कर रहे हैं, फोटो खिंचवा रहे हैं..! क्या डीएम का यही काम है? यदि सफाई करनी है तो कलेक्ट्रेट छोड़कर सफाई का ही कार्य करें..! यह कौन-सी व्यवस्था है? क्या यह डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का काम है?” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कलेक्टर जिले के जिम्मेदार अधिकारी हैं और उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझते हुए ठोस कदम उठाने होंगे।

सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत ने जानकारी दी कि कोर्ट के 12 फरवरी 2025 के आदेश के अनुपालन में राज्य गृह सचिव द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत किया जा चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए अन्य राज्यों के नियमों का अध्ययन करने हेतु एक छह सदस्यीय समिति गठित की गई है, जिसमें खनिज विभाग के उप संचालक और जिला खनिज अधिकारी शामिल हैं।
हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 22 अप्रैल 2025 को निर्धारित की है।
