नकली खाद ने बिगाड़ी खेती की सेहत, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी — कृषि विभाग की चुप्पी से सवालों में जिम्मेदारी

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दीपक मितल, प्रधान संपादक, छत्तीसगढ़
रायपुर। दल्लीराजहरा समेत पूरे बालोद जिले में नकली खाद का जहर खेती को बर्बाद कर रहा है। फसलें सूख रही हैं, जमीन की उर्वरता घट रही है और किसान कर्ज के दलदल में फंसते जा रहे हैं। लेकिन कृषि विभाग अब भी चुप है। क्या किसान की आह प्रशासन को सुनाई नहीं देती?

खाद खरीदी, पर फसल गई बर्बाद

जिले के कई किसानों ने बताया कि उन्होंने अधिकृत कृषि केंद्रों से खाद खरीदी थी। लेकिन खेत में इस्तेमाल के बाद फसलें मुरझा गईं। जांच में सामने आया कि खाद नकली थी, जिसमें पोषक तत्व न के बराबर थे और रासायनिक मिलावट ने मिट्टी को भी नुकसान पहुंचाया।

“हमने मान्यता प्राप्त दुकान से खाद ली, लेकिन खेत में जहरीला असर दिखा। न फसल बची, न मिट्टी।”
— आनंद प्रसाद, किसान, दल्लीराजहरा

कृषि केंद्रों की आड़ में फल-फूल रहा है फर्जीवाड़ा

खुलासा हुआ है कि कुछ स्थानीय व्यापारी बाहरी नेटवर्क के साथ मिलकर नकली खाद बेच रहे हैं। किसानों की अनभिज्ञता और मजबूरी को ठगने का यह धंधा अब खुलेआम चल रहा है। कई किसानों ने छत्तीसगढ़ शासन के कृषि मंत्री और बालोद कलेक्टर को शिकायतें भेजी हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

कृषि विभाग मौन, किसान त्रस्त

कृषि विभाग की निष्क्रियता से किसान बेहद आहत हैं। न तो अब तक छापे मारे गए, न ही दोषियों पर FIR दर्ज हुई। किसान सवाल पूछ रहे हैं — क्या विभाग का काम केवल रिपोर्ट लिखना रह गया है? क्या खेतों की तबाही और अन्नदाता की बदहाली पर चुप रहना अब सरकारी नीति बन चुकी है?

क्या कहते हैं अधिकारी?

जब इस संबंध में बालोद जिला कृषि अधिकारी डी.एस. ध्रुव से बात की गई तो उन्होंने कहा:

“कृषि केंद्रों में लगातार छापामार कार्रवाई की जा रही है। शिकायत मिलते ही सख्त कार्रवाई की जाती है और आगे भी की जाएगी।”

हालांकि, जमीनी हकीकत इससे अलग है। किसानों का कहना है कि विभाग की कार्रवाई सिर्फ कागज़ों तक सीमित है।

अब समय है कार्रवाई का — नहीं तो होगी खेती की शवयात्रा

समाज और सरकार को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि:

  • सभी कृषि केंद्रों की तत्काल जांच हो

  • नकली खाद बेचने वालों पर FIR और जेल की कार्रवाई हो

  • किसानों को उचित मुआवज़ा मिले

  • खाद की गुणवत्ता की नियमित निगरानी और प्रमाणन अनिवार्य हो

किसानों की चेतावनी:

पीड़ित किसान जुगनू राम, जनक राम, गोपाल दास, नीरज कुमार जैसे अनेक लोगों ने प्रशासन को चेताया है:

“किसानों की आह मत लो, वरना खेतों में अन्न नहीं, आंसू उगेंगे।”

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