बिलासपुर में नशे का जाल फैला… शहर के बीच नाबालिग कर रहे गांजा का सौदा, गोली बेचने की हो रही तैयारी

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जे के मिश्र
ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स, बिलासपुर

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में कानून-व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। शहर के बीचोंबीच खुलेआम नाबालिग गांजा बेचते हुए कैमरे में कैद हो गए हैं। वीडियो में देखा जा सकता है कि न सिर्फ गांजा का सौदा हो रहा है, बल्कि युवकों द्वारा “गोली” बेचने की तैयारी भी की जा रही है। मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र के कुदुदण्ड इलाके का बताया जा रहा है।

वीडियो में युवकों की बातचीत स्पष्ट तौर पर सुनाई दे रही है, जिसमें एक युवक दूसरे को गोली बाहर से लाकर बेचने के लिए लड़के तैयार करने की बात कहता है। जवाब में दूसरा युवक सहजता से कहता है कि काम वह खुद संभाल लेगा। ये पूरा संवाद इस बात की गवाही देता है कि इन युवकों को न पुलिस का डर है, न ही जेल जाने का खौफ।

स्मार्ट सिटी के साथ फैलता जा रहा है नशे का साम्राज्य
एक ओर जहां बिलासपुर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शहर में नशा, सट्टा और कबाड़ का काला कारोबार भी तेजी से पैर पसार रहा है। यह हालात उस समय सामने आए हैं जब जिले में प्रहार और संवेदना अभियान जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं।

सवालों के घेरे में पुलिस की जमीनी कार्रवाई
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह के नेतृत्व में बिलासपुर पुलिस ने बड़ी आपराधिक घटनाओं पर काफी हद तक नियंत्रण किया है। लेकिन शहर के कई थाना क्षेत्रों — सिविल लाइन, सरकंडा, कोतवाली और सिरगिट्टी — में कुछ वर्दीधारी सिविल ड्रेस में रहकर नशे और सट्टे के कारोबारियों से मिलीभगत में लिप्त बताए जा रहे हैं।

विभागीय सूत्रों की मानें तो कुछ आरक्षकों को “थानों का कोषाध्यक्ष” तक कहा जाता है, जो अवैध गतिविधियों के सरंक्षण में संलिप्त रहते हैं। ये कर्मचारी लंबे समय से एक ही थाना क्षेत्र में पदस्थ हैं और तबादले के कुछ समय बाद ही फिर से वहीं लौट आते हैं।

क्या अभियान दिखावटी बनकर रह जाएंगे?
अब बड़ा सवाल यह है कि यदि नशे और अवैध धंधों की जड़ें जमीनी स्तर तक फैली हुई हैं, और यदि पुलिस के भीतर ही कुछ लोग ऐसे कारोबारियों को सरंक्षण दे रहे हैं, तो प्रशासन के अभियान कितने प्रभावी होंगे? यह स्थिति न केवल पुलिस विभाग के लिए बल्कि कानून व्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय बन गई है।

जनता को अब इंतजार है ठोस कार्रवाई का — ताकि शहर के नौजवान नशे की गिरफ्त से बाहर निकल सकें और बिलासपुर वास्तव में एक “स्मार्ट और सुरक्षित शहर” बन सके।

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