बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरबा जिले में 16 वर्षीय आदिवासी लड़की के साथ गैंगरेप और उसकी, उसके पिता व मासूम बच्ची की हत्या के जघन्य मामले में पांच दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने यह कहते हुए यह फैसला सुनाया कि मामला अत्यंत गंभीर और समाज को झकझोरने वाला है, फिर भी यह “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” श्रेणी में नहीं आता, जिसमें मृत्युदंड आवश्यक हो।
इस निर्णय के बाद अब पांचों दोषी आजीवन कारावास की सजा काटेंगे।
क्या है मामला?
यह मामला जनवरी 2021 का है, जब कोरबा जिले में एक 16 वर्षीय पहाड़ी कोरवा जनजाति की लड़की के साथ गैंगरेप किया गया था। इस नृशंस घटना के बाद लड़की की, उसके पिता और 4 वर्षीय बहन की हत्या कर दी गई थी। यह अपराध क्षेत्र में दहशत का कारण बना और पूरे प्रदेश में आक्रोश फैल गया।
मामले में कोरबा जिला न्यायालय ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। सजा की पुष्टि के लिए मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को भेजा गया था।
हाईकोर्ट का फैसला
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु शामिल थे, ने मामले की गहन सुनवाई के बाद यह निर्णय दिया कि:
“भले ही यह अपराध गंभीर है, लेकिन तथ्यों, परिस्थितियों, आरोपियों की आयु और उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि को देखते हुए मृत्युदंड देना न्यायोचित नहीं होगा।”
कोर्ट ने यह भी माना कि आजीवन कारावास की सजा न्याय के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पर्याप्त है।
क्यों बदली गई सजा?
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यह “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” की श्रेणी में नहीं आया।
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आरोपियों की आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं पाई गई।
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उम्र और अन्य सामाजिक परिस्थितियों को भी निर्णय में आधार बनाया गया।
जहां एक ओर इस फैसले को कुछ वर्गों द्वारा “नरमी” के तौर पर देखा जा सकता है, वहीं न्यायालय ने अपने निर्णय को संविधान और कानून की मर्यादा में रहते हुए तथ्यों के आधार पर लिया है। इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” की परिभाषा क्या होनी चाहिए, और न्याय में संवेदनशीलता व कठोरता का संतुलन कैसे तय किया जाए।
