दीपक मितल, प्रधान संपादक — छत्तीसगढ़
रायपुर, 8 जून।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शनिवार शाम भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) रायपुर के परिसर में ‘सुशासन वाटिका’ का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम चिंतन शिविर 2.0 के पहले दिन के समापन अवसर पर आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री एवं मंत्रिमंडल के सदस्यों ने मौलश्री के पौधे का सामूहिक रूप से रोपण किया।
मौलश्री के पौधों से शुरू हुआ ‘सुशासन वाटिका’ का सफर
इस शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री साय के साथ उपमुख्यमंत्री अरुण साव एवं विजय शर्मा, वन मंत्री केदार कश्यप, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल, स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल, राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, तथा IIM रायपुर के निदेशक प्रो. राम कुमार कांकाणी भी मौजूद रहे और सभी ने मिलकर पौधरोपण में भाग लिया।
मौलश्री वृक्ष: शुद्धता, सुगंध और संरक्षण का प्रतीक
मौलश्री, जिसे पारंपरिक रूप से “बकुल” भी कहा जाता है, एक सदाबहार वृक्ष है।
यह 10 से 15 मीटर तक ऊँचा होता है और इसके सुगंधित फूल रात में विशेष रूप से महकते हैं।
इसका उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में होता है और यह पर्यावरण संरक्षण व आध्यात्मिक शांति का प्रतीक भी माना जाता है।
मौलश्री के वृक्ष आमतौर पर मंदिरों, विद्यालयों एवं घर आंगनों में लगाए जाते हैं। अब यह सुशासन की अवधारणा से जुड़कर सतत विकास और नैतिक प्रशासन का प्रतीक बन रहा है।
चिंतन शिविर और सुशासन का संदेश
सुशासन वाटिका का उद्देश्य हरित वातावरण के साथ-साथ नैतिक प्रशासन, जनहित केंद्रित नीतियों और प्राकृतिक संरक्षण के संदेश को जन-जन तक पहुँचाना है। मुख्यमंत्री ने कहा:
“सुशासन का बीज विचारों में, और उसकी छाया आने वाली पीढ़ियों पर पड़ती है। यह वाटिका उसी विचार का सजीव उदाहरण है।”
समापन नोट:
‘सुशासन वाटिका’ जैसे पहल न केवल प्रशासनिक सोच में हरियाली लाती है, बल्कि प्रकृति और नीति के सामंजस्य का सुंदर उदाहरण भी प्रस्तुत करती हैं।
