रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजधानी रायपुर में आयोजित राष्ट्रीय आम महोत्सव का विधिवत शुभारंभ करते हुए कहा कि आम की खेती किसानों के लिए आय का मजबूत साधन बन सकती है। उन्होंने कहा कि जितने अधिक आम के पौधे लगाए जाएंगे, उतना ही अधिक लाभ किसानों को मिलेगा, जिससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प को पूरा करने में मदद मिलेगी।
यह चार दिवसीय महोत्सव इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी तथा ‘प्रकृति की ओर’ सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की।
आम की खेती से आत्मनिर्भर किसान
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपराओं में आम का विशेष महत्व है। धार्मिक कार्यों में आम के पत्तों, फलों और पेड़ों का उपयोग शुभता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत में आम की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं, जो अपने स्वाद, सुगंध और औषधीय गुणों के कारण दुनियाभर में लोकप्रिय हैं। यही कारण है कि आम को ‘फलों का राजा’ कहा जाता है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्हें महोत्सव में बीजापुर की ‘हाथीझुल’ प्रजाति के आम देखने को मिले, जिनका वजन 2 से 4 किलो तक होता है। उन्होंने आशा जताई कि आने वाले वर्षों में यह महोत्सव और भी भव्य स्वरूप में आयोजित होगा, जिससे रायपुर को एक नई पहचान मिलेगी।
200 से अधिक किस्में, 56 व्यंजन, 1200 से अधिक प्रदर्शन
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धरसींवा विधायक अनुज शर्मा ने कहा कि आम की 2 इंच से लेकर 15 इंच आकार तक की किस्में देखना एक अद्भुत अनुभव है। उन्होंने रायपुरवासियों से महोत्सव में भाग लेने की अपील की।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. चंदेल ने बताया कि महोत्सव में देशभर से आए 450 से अधिक किसान 1200 से अधिक किस्मों के आमों का प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही आम से बने 56 उत्पादों और व्यंजनों को भी प्रदर्शित किया गया है। आयोजन स्थल पर आम के पौधों की बिक्री भी की जा रही है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के न्यूजलेटर का विमोचन किया और उन्हें प्राकृतिक रूप से पके आमों की टोकरी भेंट की गई। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने अतिथियों के प्रति आभार जताया।
मुख्यमंत्री के सुझाव और नागरिकों के उत्साह को देखते हुए महोत्सव की अवधि एक दिन बढ़ाकर 9 जून 2025 तक कर दी गई है।
