22 लाख का राशन घोटाला दबाने की कोशिश!

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22 लाख का राशन घोटाला दबाने की कोशिश!
धरमजयगढ़ में दोहरी कार्रवाई से फूटा जनआक्रोश – छोटे चोर जेल में, बड़े घोटालेबाज को ‘सरकारी संरक्षण’?

शैलेश शर्मा 9406308437
नवभारत टाइम्स 24×7.in
जिला ब्यूरो रायगढ़

रायगढ़। धरमजयगढ़ में शासकीय राशन वितरण व्यवस्था की जड़ें कितनी सड़ चुकी हैं, इसका सबसे जीता-जागता उदाहरण सामने आया है।
जहाँ एक ओर 88,854 रुपये की गड़बड़ी करने वाले दुकान संचालक को जेल में डाला गया, वहीं 22 लाख से ज्यादा राशन डकारने वालों को अब तक एफआईआर से भी राहत मिली हुई है। और यह सब हो रहा है एसडीएम के स्पष्ट आदेशों के बावजूद।

एसडीएम का आदेश भी बेअसर! खाद्य अधिकारी की रहस्यमयी चुप्पी

धरमजयगढ़ एसडीएम धनराज मरकाम ने जब जिम्मेदारी संभाली, तो राशन घोटालों पर सख्ती दिखानी शुरू की।

15 मई को जबगा राशन दुकान के खिलाफ आदेश हुआ—24 घंटे में एफआईआर, आरोपी जेल में!
लेकिन 8 मई को रूवाफुल दुकान के खिलाफ दिया गया आदेश आज भी धूल खा रहा है।

22 लाख का घोटाला – फिर भी FIR नहीं!

निश्चय नया सवेरा स्व-सहायता समूह द्वारा संचालित रूवाफुल राशन दुकान में:

533.81 क्विंटल चावल (22,21,717 रुपये)
चना, शक्कर, नमक समेत कुल गबन: 22,39,525.88 रुपये

इसके लिए एसडीएम ने 8 मई को खाद्य अधिकारी सुधा चौहान को FIR दर्ज करने का स्पष्ट आदेश दिया, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं। क्या ये अधिकारी की लापरवाही है या मिलीभगत?

एक ही अधिकारी, दो चेहरा – किसे बचा रही हैं सुधा चौहान?

भगवान सिंह पर 88 हजार के गबन पर FIR, गिरफ्तारी, जेल – सब कुछ 24 घंटे में।
रामचरण चौहान और उसकी टीम पर 22 लाख के गबन के बावजूद ना एफआईआर, ना गिरफ्तारी, ना जवाबदेही।

क्या इस ‘भेदभावपूर्ण कार्रवाई’ के पीछे कोई ‘ऊपर से आदेश’ है?
क्या बड़े घोटालेबाज किसी रसूखदार की छाया में हैं?

जनता पूछ रही है – कानून सबके लिए एक क्यों नहीं?

एसडीएम के आदेश की अवहेलना किसके इशारे पर हो रही है?
खाद्य अधिकारी पर कार्रवाई कब होगी?
प्रशासनिक आदेशों को धत्ता बताने का अधिकार किसी अफसर को किसने दिया?

अब जनता चुप नहीं बैठेगी!

धरमजयगढ़ की गलियों में अब एक ही सवाल है –
“22 लाख डकारने वाले आजाद क्यों?”
“गरीबों का राशन लूटने वाले सलाखों के पीछे कब होंगे?”

यह मामला सिर्फ राशन घोटाले का नहीं, बल्कि शासन के प्रति जनता के भरोसे का है।
अगर गरीब का निवाला लूटने वाले खुलेआम घूमते रहेंगे, तो प्रशासन का अस्तित्व ही सवालों के घेरे में होगा।

अब बात सिर्फ कार्रवाई की नहीं, न्याय की है।
धरमजयगढ़ मांग करता है
22 लाख के गबन पर तत्काल एफआईआर हो, और दोषियों को जेल भेजा जाए!
वरना जनता सड़क पर उतरने से पीछे नहीं हटेगी।

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