जिला ब्यूरो, रायगढ़ शैलेश शर्मा
रायगढ़। बहुचर्चित बजरमुड़ा मुआवजा प्रकरण में शासन ने बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) अशोक मार्बल को निलंबित कर दिया है। इस मामले में लंबे समय से जांच की मांग की जा रही थी, जिसमें करोड़ों की मुआवजा राशि फर्जी लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित करने का गंभीर आरोप है।
शिकायतकर्ता दुर्गेश शर्मा ने इस कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि
“यह तो केवल शुरुआत है। इस संगठित घोटाले में शामिल प्रत्येक अधिकारी, कर्मचारी और फर्जी हितग्राही को न्याय के कटघरे में लाना जरूरी है।”
क्या है पूरा मामला?
रायगढ़ जिले के घरघोड़ा तहसील अंतर्गत बजरमुड़ा क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के तहत प्रभावित किसानों को मुआवजा वितरित किया गया था। जांच में सामने आया कि राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से काग़ज़ों पर फर्जी किसानों के नाम दर्शाकर करोड़ों रुपये की मुआवजा राशि उनके खातों में ट्रांसफर की गई।
प्रथम दृष्टया अनुमान है कि यह घोटाला 300 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है, जिसे प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा मुआवजा घोटाला बताया जा रहा है।
दुर्गेश शर्मा की मुख्य मांगें:
फर्जी लाभार्थियों के बैंक खातों को तत्काल सील किया जाए।
मुआवजा राशि की वसूली की जाए और आपराधिक प्रकरण दर्ज हो।
घोटाले की जांच में देरी और आरोपियों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।
शिकायतकर्ता ने घरघोड़ा के वर्तमान एसडीएम पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जांच को प्रभावित करने और दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
“जांच की निष्पक्षता तभी सुनिश्चित हो सकती है जब सभी संदिग्ध अधिकारियों को जांच अवधि में पदमुक्त किया जाए।” : दुर्गेश शर्मा
यह सिर्फ वित्तीय अनियमितता नहीं, किसानों के अधिकारों पर चोट है
इस प्रकरण को लेकर क्षेत्र में आक्रोश का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वास्तविक पात्र किसानों को मुआवजे से वंचित कर उनके नाम पर फर्जीवाड़ा किया गया। इससे न केवल सरकारी धन की हानि हुई, बल्कि ग्रामीणों के अधिकारों का भी हनन हुआ।
