ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश से सियासत तेज! विपक्ष ने की सर्वदलीय बैठक की मांग,किसने क्या कहा?

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India Pakistan: कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश और युद्धविराम में अमेरिका की भूमिका को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर सवालों की बौछार कर दी है।

कांग्रेस नेताओं ने इसे न भारत की विदेश नीति पर सीधा हस्तक्षेप बताया।

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल से लेकर मनीष तिवारी, जयराम रमेश, शशि थरूर और मनोज झा जैसे दिग्गज नेताओं ने एक सुर में केंद्र सरकार से प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। अब यह मामला केवल एक अंतरराष्ट्रीय बयान तक सीमित नहीं रहा, बल्कि भारत की संप्रभुता, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक विमर्श से जुड़ा बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।

कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्रंप के उस सोशल मीडिया पोस्ट पर सवाल उठाए जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की थी। सिब्बल ने कहा कि इस पोस्ट के बाद कई सवाल खड़े होंगे और विपक्ष को अब तक सही जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह हालिया घटनाक्रम पर चर्चा के लिए सभी दलों की बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाए।

 

 

‘पीएम मौजूद न हों तो बैठक में न जाए कोई पार्टी’

सिब्बल ने कहा कि जब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ऐसी किसी बैठक की अध्यक्षता नहीं करते, तब तक किसी भी दल को उसमें शामिल नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर आज मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री होते तो अब तक विशेष सत्र बुलाया जा चुका होता।”

मनीष तिवारी ने दी ट्रंप को इतिहास की जानकारी

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी ट्रंप की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि कश्मीर कोई “1000 साल पुराना” विवाद नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि यह विवाद 22 अक्टूबर 1947 को शुरू हुआ जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था। 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर को भारत में पूरी तरह मिला दिया था।

 

जयराम रमेश ने उठाए अहम सवाल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी विशेष सत्र और सर्वदलीय बैठक की मांग की। उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो द्वारा “न्यूट्रल फोरम” की बात कहे जाने पर चिंता जताई और पूछा – क्या भारत ने शिमला समझौता छोड़ दिया है? क्या अब हम तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार कर रहे हैं?

शशि थरूर बोले – आतंकियों को सबक मिल चुका है

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि हालात अब 1971 जैसे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने सिर्फ आतंकियों को सबक सिखाने के लिए कार्रवाई की थी और अब शांति जरूरी है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “हम उस स्थिति में पहुंच गए थे, जहां तनाव बेवजह नियंत्रण से बाहर हो रहा था। हमारे लिए शांति जरूरी है। सच तो यह है कि 1971 के हालात 2025 के हालात नहीं हैं। मतभेद हैं… यह ऐसा युद्ध नहीं था जिसे हम जारी रखना चाहते थे। हम बस आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहते थे और वह सबक सिखाया जा चुका है। मुझे यकीन है कि सरकार पहलगाम की भयावह घटनाओं को अंजाम देने वाले खास लोगों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने की कोशिश जारी रखेगी…”

मनोज झा ने कहा – ट्रंप पहले सामान्य ज्ञान बढ़ाएं

राजद सांसद मनोज झा ने भी ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अमेरिका को अपनी सीमाएं समझनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को अमेरिका के इस रवैये पर कड़ा विरोध दर्ज कराना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारे जवानों ने शहादत दी, हमने टारगेटेड जवाब दिया, लेकिन अमेरिका ने पहले ही सीजफायर का ऐलान कर दिया, जो शिमला समझौते के भी खिलाफ है।”

ट्रंप ने खुद को दिया मध्यस्थता का श्रेय

ट्रंप ने अपने Truth Social पोस्ट में लिखा कि भारत और पाकिस्तान ने सही समय पर शांति का रास्ता अपनाया, नहीं तो लाखों लोग मारे जा सकते थे। उन्होंने खुद को इस शांति समझौते का मददगार बताया और कश्मीर पर “1000 साल बाद समाधान” खोजने की बात दोहराई।

भारत का रुख साफ – कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा

भारत सरकार पहले भी कई बार स्पष्ट कर चुकी है कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इस मामले में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।

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Author: Deepak Mittal

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