रायपुर, 11 जून 2025।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव आया है। वर्षों से शिक्षकविहीन और बंद पड़े स्कूलों में अब फिर से पढ़ाई की घंटी बजेगी। राज्य सरकार की युक्तियुक्तकरण नीति के तहत जिले के 78 स्कूलों में शिक्षकों की नियमित तैनाती कर दी गई है। इनमें से कई स्कूल ऐसे हैं जो दो दशक से अधिक समय से बंद पड़े थे।
189 शिक्षकों की हुई नई पदस्थापना
जिला शिक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत जिले के 198 अतिशेष शिक्षकों में से 189 की नई पदस्थापना की गई है। इनमें 104 सहायक शिक्षक, 13 प्रधान अध्यापक (प्राथमिक), 45 शिक्षक, 31 प्रधान अध्यापक (माध्यमिक) और 5 व्याख्याता शामिल हैं।
दुर्गम इलाकों में फिर गूंजेगी बच्चों की आवाज़
नई पदस्थापना के तहत 82 शिक्षक पूर्णतः शिक्षकविहीन स्कूलों में, 44 एकल शिक्षक स्कूलों में और 63 शिक्षक सामान्य आवश्यकता वाले स्कूलों में भेजे गए हैं। खास बात यह है कि जिन 76 स्कूलों में वर्षों से कोई शिक्षक नहीं था, उनमें अब पहली बार नियमित शिक्षक तैनात किए गए हैं। इनमें गुंडापुर, मुदवेंडी, हिरमगुंडा, बोटेतोंग, गुंजेपरती, जीड़पल्ली और मुरकीपाड़ जैसे दुर्गम व अतिसंवेदनशील गांव भी शामिल हैं।
उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भी सुधार
जिले के एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में, जहां सभी व्याख्याता पद रिक्त थे, वहां अब हिंदी और सामाजिक अध्ययन के व्याख्याताओं की नियुक्ति कर दी गई है। इससे विषयवार पढ़ाई फिर से सुचारु रूप से हो सकेगी।
सरकार की प्राथमिकता में शिक्षा
इस कदम से स्पष्ट है कि राज्य सरकार बीजापुर जैसे दूरस्थ व नक्सल प्रभावित इलाकों में भी शिक्षा को प्राथमिकता दे रही है। बंद पड़े स्कूलों में अब बच्चों की पढ़ाई शुरू होगी और उनके भविष्य को नई दिशा मिलेगी।
नवाचार से उम्मीदों की लौ जगी
शिक्षा व्यवस्था में यह बदलाव एक उम्मीद की किरण की तरह है। वर्षों तक जो गांव शिक्षा से वंचित थे, अब वहां से शिक्षित पीढ़ी उभरने की संभावना बनेगी। सरकार की यह पहल बीजापुर के लिए एक नई शुरुआत है, जो आने वाले वर्षों में बदलाव की मिसाल बनेगी।
