भारत माला परियोजना में करोड़ों का घोटाला: तीन पटवारी गिरफ्तार, फर्जी दस्तावेजों से सरकारी खजाने को पहुंचाया भारी नुकसान

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भारत माला परियोजना में करोड़ों का घोटाला: तीन पटवारी गिरफ्तार, फर्जी दस्तावेजों से सरकारी खजाने को पहुंचाया भारी नुकसान

एसीबी–ईओडब्ल्यू की बड़ी कार्रवाई; भूमि अधिग्रहण में हेराफेरी कर शासन को करोड़ों की चपत, भूमाफियाओं से मिलीभगत के सबूत मिले

रायपुर। छत्तीसगढ़ की बहुचर्चित भारतमाला परियोजना से जुड़ा मुआवजा राशि घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने सोमवार, 29 अक्टूबर 2025 को इस मामले में तीन लोकसेवकों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अधिकारियों में तत्कालीन पटवारी दिनेश पटेल (नायकबांधा)लेखराम देवांगन (टोकरो) और बसंती घृतलहरे (भेलवाडीह) शामिल हैं।

ब्यूरो के अनुसार, इन तीनों ने वर्ष 2020 से 2024 के बीच रायपुर–विशाखापट्टनम प्रस्तावित इकॉनॉमिक कॉरिडोर के तहत भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं और दस्तावेजी जालसाजी की थी।


💰 करोड़ों की मुआवजा राशि में हेराफेरी

जांच में सामने आया कि इन लोकसेवकों ने भूमाफियाओं और निजी व्यक्तियों के साथ साजिश रचकर शासन को धोखा दिया और सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये की हानि पहुंचाई।
आरोपियों ने—

  • शासन द्वारा अर्जित भूमि को दोबारा शासन को ही बेचने जैसे फर्जी सौदे किए,

  • बैक डेट में बंटवारा और नामांतरण के दस्तावेज तैयार किए,

  • असली मालिकों की जगह अन्य लोगों को मुआवजा दिलवाया,

  • और कुछ मामलों में निजी भूमि को अधिग्रहित दिखाकर फर्जी मुआवजा निकाला।

बताया गया कि आरोपियों ने एक ही भूमि को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित कर अलग-अलग नामों से मुआवजा राशि प्राप्त करने की योजना बनाई थी।


⚖️ दर्ज अपराध और न्यायालय की कार्रवाई

ब्यूरो में दर्ज अपराध क्रमांक 30/2025 में आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7C, 12 और भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 467, 468, 471, 420, 120B के तहत अपराध दर्ज है।
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि उन्होंने कंप्यूटराइज्ड भूमि अभिलेख प्रणाली में हेरफेर कर फर्जी रिकॉर्ड बनाए थे।

विशेष न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), रायपुर द्वारा पहले ही इन पर वारंट, उद्घोषणा और कुर्की की कार्यवाही के आदेश दिए जा चुके थे।
हालांकि, आरोपियों ने उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक प्राप्त कर ली थी, लेकिन 28 अक्टूबर 2025 को यह रोक हटने के बाद एसीबी–ईओडब्ल्यू टीम ने तीनों को गिरफ्तार कर विशेष न्यायालय में पेश किया।


👥 और भी आरोपी फरार, जल्द होगी गिरफ्तारी

ब्यूरो अधिकारियों के अनुसार, इस प्रकरण में अन्य लोकसेवक और निजी व्यक्ति भी शामिल हैं, जो फिलहाल फरार हैं।
इनकी तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं और संपत्ति कुर्की की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

गौरतलब है कि 13 अक्टूबर 2025 को इस मामले में 10 आरोपियों — जिनमें दो लोकसेवक शामिल थे — के खिलाफ पहला अभियोग पत्र (चार्जशीट) दायर किया जा चुका है।


📜 “यह केवल भूमि विवाद नहीं, संगठित धोखाधड़ी है” — ब्यूरो

ब्यूरो का कहना है कि यह मामला केवल भूमि अधिग्रहण की अनियमितताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें दस्तावेजी फर्जीवाड़ा, सरकारी अभिलेखों में हेरफेर और मुआवजा राशि की फर्जी निकासी जैसी संगठित धोखाधड़ी शामिल है।

इस षड्यंत्र के कारण राष्ट्रीय महत्व की भारतमाला परियोजना जैसे बुनियादी ढांचे के कार्य प्रभावित हुए।


🏗️ राज्य को बड़ा आर्थिक झटका

विभागीय सूत्रों के अनुसार, रायपुर–विशाखापट्टनम कॉरिडोर के लिए अधिग्रहित भूमि की कुल कीमत सैकड़ों करोड़ रुपये में है।
मुआवजा वितरण में हुई यह धोखाधड़ी राज्य सरकार के लिए बड़ा आर्थिक नुकसान मानी जा रही है।

सरकारी सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए भू-अर्जन प्रक्रिया में डिजिटल सत्यापन प्रणाली और तृतीय-पक्ष ऑडिट लागू किए जाएंगे।


🔍 आगे की जांच जारी

एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीम अब फरार आरोपियों की गिरफ्तारी और दस्तावेजी सबूतों की फोरेंसिक जांच पर काम कर रही है।
ब्यूरो का दावा है कि जल्द ही इस मामले की अगली चार्जशीट अदालत में पेश की जाएगी।

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Author: Deepak Mittal

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