महासमुंद जिले के भोरिंग निवासी यादराम साहू पर ट्रेडिंग कंपनी और शेयर मार्केट में मोटे मुनाफे का लालच देकर कई लोगों को करोड़ों रुपये की ठगी का आरोप लगा है। इस मामले में अब तक दर्जनों शिकायतें पुलिस को मिल चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
शिकायतें बढ़ती जा रही हैं
शिक्षक शिव कुमार चेलक द्वारा पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर से ठगी की शिकायत करने के बाद कई और पीड़ित सामने आए हैं। इनमें से रामनाथ विश्वकर्मा ने अपनी शिकायत में बताया कि कैसे यादराम साहू और उसके भतीजे टुकेश कुमार साहू ने झूठे आश्वासन और स्टाम्प पेपर पर एग्रीमेंट कराकर पैसे वसूले।
रामनाथ ने 11.32 लाख रुपये का निवेश किया, जिसके बदले में टुकेश ने बंधन बैंक के दो चेक दिए। इसके अलावा, 12.15 लाख रुपये की एक और राशि सीताराम वैष्णव को दी गई। हालांकि, निवेश के बाद पीड़ित को न तो रिटर्न मिला और न ही निवेश की राशि वापस की गई।
धोखे का तंत्र
यादराम साहू और उसका परिवार पहले लोगों का भरोसा जीतने के लिए दोस्ती और पारिवारिक संबंधों का सहारा लेते थे। उन्होंने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए यह दावा किया कि उनका ट्रेडिंग व्यवसाय अत्यधिक लाभदायक है। उन्होंने ग्रामीण बैंक और अन्य स्रोतों से ऋण लेकर निवेश करने वालों को 7% मासिक ब्याज का झूठा प्रलोभन दिया।
प्रभावित परिवार कर्ज में डूबे
कई परिवारों ने यादराम के झांसे में आकर अपनी जमीन गिरवी रखी, बैंक से कर्ज लिया, और अपनी जमा पूंजी गंवा दी। अब वे बैंक के कर्जदार बनकर मानसिक और आर्थिक तनाव झेल रहे हैं।
पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
आरोपियों के खिलाफ स्पष्ट सबूत होने के बावजूद पुलिस ने अब तक कोई अपराध पंजीबद्ध नहीं किया है। पीड़ितों ने बार-बार प्रशासन और पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है, लेकिन कार्रवाई न होने से उनके आक्रोश और निराशा का स्तर बढ़ता जा रहा है।
अब क्या होगा?
यादराम साहू और उनके परिवार की ठगी से महासमुंद के कई परिवार तबाह हो गए हैं। लोगों को अब उम्मीद है कि जल्द ही पुलिस कड़ी कार्रवाई करेगी और आरोपी जेल की सलाखों के पीछे होंगे। क्या पुलिस पीड़ितों की आवाज सुनेगी, या यह मामला भी कागजों में दफन हो जाएगा?
संकलनकर्ता – प्रभात मोहंती