राज्योत्सव के दूसरे दिन लोक संस्कृति की धूम: रेखा देवार की सुरीली प्रस्तुति ने बांधा समां, 12 शिक्षकों को मिला सम्मान

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निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111

मुंगेली : छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर जिला मुख्यालय के वीर शहीद धनंजय सिंह राजपूत स्टेडियम में आयोजित तीन दिवसीय राज्योत्सव का दूसरा दिन लोक संस्कृति और कला का अनुपम संगम बन गया।

प्रसिद्ध लोक गायिका रेखा देवार ने अपनी मधुर आवाज में छत्तीसगढ़ी लोक गीतों की मनमोहक प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी गीतों ने पूरे माहौल को संगीतमय बना दिया और आमजन में उत्साह का संचार कर दिया।

छात्र-छात्राओं की छत्तीसगढ़ी प्रस्तुतियां रही मनमोहक

राज्योत्सव समारोह में छात्र-छात्राओं ने भी छत्तीसगढ़ी गीतों पर शानदार नृत्य और गायन की प्रस्तुति दी, जो बेहद मनमोहक रही। इन प्रदर्शनों ने स्थानीय संस्कृति की जीवंतता को उजागर किया।

कार्यक्रम में कलेक्टर कुंदन कुमार, अतिरिक्त कलेक्टर निष्ठा पांडेय तिवारी, जिला पंचायत सीईओ प्रभाकर पांडेय, मुंगेली एसडीएम अजय शतरंज, जनपद पंचायत लोरमी की अध्यक्ष वर्षा विक्रम सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी और बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे। सभी ने इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भरपूर आनंद लिया।

कलेक्टर ने 12 शिक्षकों को शिक्षादूत व ज्ञानदीप पुरस्कार से सम्मानित किया

राज्योत्सव के इस अवसर पर कलेक्टर कुंदन कुमार ने मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 2025 के तहत 12 शिक्षकों को शिक्षादूत और ज्ञानदीप पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने प्राथमिक शाला कुरानकापा के प्रधानपाठक गौकरण कश्यप, प्राथमिक शाला नवागांव घुठेरा के सहायक शिक्षक लखनलाल कुर्रे, प्राथमिक शाला सिल्ली के सहायक शिक्षक देवप्रसाद पात्रे, प्राथमिक शाला बघनीभांवर के सहायक शिक्षक रामायण सिंह राजपूत, प्राथमिक शाला मोहड़ांडा के सहायक शिक्षक जीत बाबू मंगेशकर, प्राथमिक शाला सेनगुड़ा के प्रधानपाठक अशोक टोंडे, प्राथमिक शाला गोईंद्रा की सहायक शिक्षिका विनिता गेंदले, प्राथमिक शाला खपरी की सहायक शिक्षिका नारायणी कश्यप, प्राथमिक शाला बछेरा के सहायक शिक्षक लक्ष्मीकांत जड़ेजा, पूर्व माध्यमिक शाला पदमपुर के प्रधानपाठक राजेंद्र कश्यप, पूर्व माध्यमिक शाला के औराबांधा के प्रधानपाठक रामनाथ लहरे तथा पूर्व माध्यमिक शाला लौदा के प्रधानपाठक बृजमोहन सोनवानी को शाल, प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रोत्साहित किया। यह आयोजन छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और प्रचारित करने का महत्वपूर्ण माध्यम साबित हो रहा है।

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Author: Deepak Mittal

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