दीपावली की चमक-दमक के बीच मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के जिला अस्पताल में मंगलवार देर रात एक दिल दहला देने वाला हादसा हो गया। शराब के नशे में धुत एक ड्राइवर ने निजी स्कूल वैन (नंबर MP16 T 2066) को लापरवाही से चलाते हुए दो कारों, 20 मोटरसाइकिलों को बुरी तरह कुचल दिया।
इसी दौरान एक स्कूटी पर सवार महिला और उसकी बेटी को जोरदार टक्कर मार दी, जिससे दोनों को गंभीर चोटें आईं।
गुस्साए लोगों ने ड्राइवर को पकड़कर जमकर पिटाई की, लेकिन अस्पताल चौकी पुलिस ने हस्तक्षेप कर उसे भीड़ के हवाले से बचाया और हिरासत में ले लिया। आरोपी इकराम के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
यह घटना न केवल सड़क सुरक्षा की पोल खोल रही है, बल्कि जिला अस्पताल परिसर में दलालों और असामाजिक तत्वों के जमावड़े की समस्या को भी उजागर कर रही है। आइए, इस हादसे की पूरी परतें खोलते हैं-गवाहों के बयान, पुलिस की कार्रवाई और सामाजिक संकट की गहराई।
हादसे की दहशत भरी रात: वैन बेकाबू होकर रौंदती चली गई गाड़ियां
मंगलवार रात करीब 11 बजे छतरपुर जिला अस्पताल के मुख्य परिसर में हड़कंप मच गया। अस्पताल गेट के पास पार्किंग में खड़ी दो कारें (एक मारुति स्विफ्ट और एक हुंडई i10), करीब 20 मोटरसाइकिलें और एक स्कूटी पर सवार मां-बेटी को स्कूल वैन ने जोरदार धक्का मार दिया। गार्ड अरविंद सिंह ने बताया, “मैं गेट पर ड्यूटी कर रहा था। अचानक तेज रफ्तार स्कूल वैन गेट की ओर दौड़ी। मैंने हाथ हिलाकर रोकने की कोशिश की, लेकिन ड्राइवर ने मुझे भी कुचलने की ठान ली। मैं एक तरफ कूद गया, वरना जान भी जा सकती थी।” वैन ने पहले पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को रौंदा, फिर स्कूटी सवार रीता (नाम परिवर्तित) और उनकी 12 वर्षीय बेटी को टक्कर मार दी। रीता ने अस्पताल पहुंचने के बाद कहा, “हम अस्पताल से लौट रही थीं। अचानक वैन ने हमें टक्कर मार दी। बेटी के पैर में फ्रैक्चर हो गया, और मुझे सिर में चोट आई। ड्राइवर की आंखें लाल थीं, शराब का नशा साफ झलक रहा था।”
हादसे के बाद वैन अस्पताल के गेट के पास जाकर रुक गई। ड्राइवर इकराम बाहर निकला, तो मौके पर मौजूद मरीजों के तीमारदारों, गार्डों और अन्य लोगों ने उसे घेर लिया। गुस्से में लोगों ने उसकी पिटाई शुरू कर दी। एक गवाह ने बताया, “हमने सोचा, ये पागल हो गया है। इतनी गाड़ियां बर्बाद कर दीं, और ऊपर से बच्चों की वैन! पिटाई तो बनती थी।” लेकिन अस्पताल चौकी इंचार्ज ने तुरंत हस्तक्षेप किया। पुलिस टीम ने भीड़ को संभाला और इकराम को थाने ले गई। चिकित्सकों ने घायल मां-बेटी को प्राथमिक उपचार दिया, जबकि क्षतिग्रस्त गाड़ियों के मालिकों ने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, कुल नुकसान 5-7 लाख रुपये का है।
आरोपी का काला इतिहास: शव वाहन से दलाली, शराब का आदी
गार्ड अरविंद सिंह ने खुलासा किया कि इकराम कोई साधारण ड्राइवर नहीं है। वह स्कूल वैन के अलावा जिला अस्पताल में शव वाहन के रूप में भी काम करता है, जहां खून की दलाली के आरोप लगे हुए हैं। सिंह ने कहा, “वह अक्सर अस्पताल परिसर में शराब पीकर घूमता रहता है। मरीजों के परिजनों को शव वाहन के लिए ऊंची रकम वसूलता है, और रिश्वत लेकर लाशें ले जाता है। कई बार तो पुलिस को शिकायतें मिल चुकी हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।” स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, इकराम पर पहले भी नशे में वाहन चलाने के दो मामले दर्ज हैं। कोतवाली टीआई ने पुष्टि की, “हमने आरोपी का मेडिकल टेस्ट कराया है। ब्लड में अल्कोहल की मात्रा 150 mg/dl से ऊपर पाई गई, जो घातक स्तर है। उसके खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 (नशे में ड्राइविंग), 279 (लापरवाही) और 337 (चोट पहुंचाना) के तहत केस दर्ज है।”
यह घटना छतरपुर जिला अस्पताल की लंबे समय से चली आ रही समस्या को उजागर करती है। यहां दलालों का जमावड़ा आम है-शव वाहन, एम्बुलेंस और यहां तक कि बेड अलॉटमेंट में भी कमीशन चलता है। एक वरिष्ठ डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अस्पताल परिसर में असामाजिक तत्वों का ठहराव रोकना मुश्किल हो गया है। रात के समय पार्किंग अनियंत्रित रहती है, और नशेड़ी घूमते रहते हैं।”
गुस्साए मालिकों की मांग: नुकसान की भरपाई और सख्ती से सुधार
हादसे में क्षतिग्रस्त गाड़ियों के मालिकों ने प्रशासन से नुकसान की तत्काल भरपाई की मांग की है। एक कार मालिक ने कहा, “मेरी स्विफ्ट का अगला हिस्सा चूर-चूर हो गया। 2 लाख का नुकसान हुआ। ड्राइवर को सजा मिलेगी, लेकिन हमारा क्या? बीमा क्लेम में महीनों लगेंगे।” मोटरसाइकिल मालिकों ने भी प्रदर्शन की धमकी दी। उनका कहना है, “अस्पताल में दलालों और नशेड़ियों का जमावड़ा समस्या बन गया है। प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद स्थायी सुधार नहीं हो रहा। पार्किंग जोन बनाएं, सीसीटीवी लगाएं और रात्रि गश्त बढ़ाएं।”
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई: जांच तेज, सुरक्षा बढ़ाने का ऐलान
कोतवाली पुलिस ने मंगलवार रात से ही जांच शुरू कर दी। एसपी ने बताया, “हमने वैन जब्त कर ली है। गवाहों के बयान दर्ज हो रहे हैं। आरोपी को रिमांड पर लेकर पूछताछ करेंगे।” जिला कलेक्टर ने अस्पताल अधीक्षक को निर्देश दिए हैं कि परिसर में विशेष गश्त लगाई जाए। एक अधिकारी ने कहा, “CCTV फुटेज खंगाली जा रही है। दलालों के खिलाफ ड्राइव चलेगी।” घायल मां-बेटी की हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि बेटी के पैर में प्लेट लगानी पड़ सकती है।
अस्पतालों में दलाली का जाल, सड़क सुरक्षा की चुनौती
यह हादसा मध्य प्रदेश के ग्रामीण अस्पतालों की उस कड़वी सच्चाई को सामने लाता है, जहां दलाली और नशा आम हो गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 60% जिला अस्पतालों में शव वाहन घोटाले चलते हैं। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है, “नशे में ड्राइविंग से सालाना 10,000 हादसे होते हैं। स्कूल वैन जैसे वाहनों पर सख्त निगरानी जरूरी है।” एनजीओ ने जागरूकता कैंप लगाने की योजना बनाई है।
आगे की राह: न्याय और सुधार की मांग
क्षतिग्रस्त गाड़ियों के मालिकों ने कहा, “हम नुकसान की भरपाई चाहते हैं, वरना आंदोलन करेंगे।” फिलहाल, अस्पताल परिसर में सन्नाटा है, लेकिन गुस्सा सुलग रहा है। क्या यह घटना बदलाव लाएगी, या फिर सुर्खियां बनकर रह जाएगी? प्रशासन की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें हैं। मां-बेटी के स्वस्थ होने की कामना के साथ, छतरपुर सड़क सुरक्षा का सबक लेने को तैयार है।
Author: Deepak Mittal









