जे के मिश्र,
जिला ब्यूरो चीफ,
नवभारत टाइम्स, बिलासपुर H
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाला मामले में फंसे पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को हाईकोर्ट से अंतरिम राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद निर्धारित की गई है।
अंतरिम राहत पर हाईकोर्ट का इनकार
हाईकोर्ट ने सतीश चंद्र वर्मा की ओर से दायर याचिका पर अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि मामले की पूरी जानकारी और संबंधित तथ्यों पर विचार किया जाएगा। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने एफआईआर पर सवाल उठाए और इसे कानून प्रक्रिया का उल्लंघन बताया।
“महाधिवक्ता के खिलाफ अनुमति के बिना FIR गलत”
सतीश चंद्र वर्मा के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि महाधिवक्ता जैसे संवैधानिक पद पर रहे व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कानूनी अनुमति जरूरी है। उन्होंने कहा, “एफआईआर कानून का उल्लंघन है, और वर्मा को अग्रिम जमानत मिलनी चाहिए।”
राज्य शासन से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने राज्य शासन से दो सप्ताह के भीतर मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक इस मामले के सभी पहलुओं पर गहनता से विचार किया जाएगा।
नान घोटाला और सतीश चंद्र वर्मा की भूमिका
नान घोटाला छत्तीसगढ़ का एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला है, जिसमें करोड़ों रुपये के गबन का आरोप है। इस मामले में सतीश चंद्र वर्मा की भूमिका पर भी सवाल खड़े हुए हैं। हालांकि, वर्मा का दावा है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।
अगली सुनवाई पर नजर
इस बहुचर्चित मामले में अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट की अगली सुनवाई पर हैं, जो दो सप्ताह बाद होगी। राज्य सरकार के जवाब और न्यायालय के रुख पर इस मामले का भविष्य निर्भर करेगा।