रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सुप्रसिद्ध कर विशेषज्ञ अधिवक्ता विवेक सारस्वत की नवीनतम पुस्तक ‘जीएसटी लॉ मैनुअल 2025’ का विमोचन किया। यह पुस्तक अप्रत्यक्ष कराधान के क्षेत्र में अधिवक्ता सारस्वत के तीन दशकों से अधिक के अनुभव और गहन शोध का परिणाम है। यह उनकी छठवीं प्रकाशित पुस्तक है और वस्तु एवं सेवा कर (GST) के क्षेत्र में एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रकाशन मानी जा रही है।
मुख्यमंत्री साय ने पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह मैनुअल जीएसटी कानून की अद्यतन जानकारी का एक उपयोगी और विश्वसनीय स्रोत है, जो कर पेशेवरों, व्यापारियों और विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। विमोचन कार्यक्रम में अधिवक्ता बीना सिंह गौतम, अभय तिवारी, प्रिंसी धावना, वंदना सारस्वत और प्रियांश शर्मा भी उपस्थित थे।
पुस्तक की विशेषताएं
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यह मैनुअल CGST, IGST, UTGST और मुआवजा उपकर के तहत सभी अधिनियमों, नियमों, अधिसूचनाओं और परिपत्रों का समेकित सार प्रस्तुत करता है।
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पुस्तक की एक खासियत इसका द्विभाषी (अंग्रेज़ी-हिंदी) प्रारूप है, जिससे यह देश भर के पाठकों के लिए अधिक सुलभ और स्पष्ट बन जाती है।
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इसमें वित्त अधिनियम 2025 के तहत किए गए नवीनतम संशोधनों को शामिल किया गया है।
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डिजिटल युग के अनुरूप, पुस्तक में QR कोड के माध्यम से जीएसटी फॉर्मों तक सीधी पहुंच की सुविधा दी गई है, जिससे अनुपालन और प्रक्रियाएं और भी सरल हो जाती हैं।
व्यापक उपयोगिता
यह पुस्तक चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कंपनी सचिवों, कर सलाहकारों, व्यापारी वर्ग, सरकारी अधिकारियों, साथ ही विधि के छात्रों और शिक्षकों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। इसकी व्यावहारिक दृष्टिकोण पर आधारित प्रस्तुति इसे जीएसटी प्रणाली की बेहतर समझ, प्रभावी कार्यान्वयन और अनुसंधान के लिए एक अमूल्य संसाधन बनाती है।
कर विधि के क्षेत्र में अग्रणी
अधिवक्ता विवेक सारस्वत जीएसटी और वैट कानूनों में देश के अग्रणी विशेषज्ञों में से एक हैं। उन्हें वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ राज्य का सर्वोच्च कानूनी सम्मान ‘बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल पुरस्कार’ प्राप्त हुआ है। वे www.cggst.com और www.cgvatlaw.com जैसी वेबसाइटों के निर्माता हैं और उन्होंने CGVATLAW नामक भारत का पहला अप्रत्यक्ष कर कानून आधारित मोबाइल ऐप भी विकसित किया है।
वास्तव में, ‘जीएसटी लॉ मैनुअल 2025’ न केवल कानून के छात्रों और पेशेवरों के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ है, बल्कि यह भारत की कर व्यवस्था के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी।
