बैंकिंग सेक्टर में नौकरी कैसे मिलती है, ये है रास्ता

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

बैंक सिर्फ़ लोन लेने, पैसा डिपॉजिट करने और एफ़डी करवाने के काम नहीं आते.

ये नौकरियां भी देते हैं. और वो भी बहुत सारी.

जॉब देने के मामले में सरकारी बैंक, देश में टॉप पांच पब्लिक सेक्टर्स में आते हैं.

निजी बैंकों में भी कई स्तरों पर खूब नौकरियां निकलती हैं.

लेकिन इन नौकरियों तक पहुंचने का रास्ता क्या है?

इस रास्ते का एक नाम है आईबीपीएस, जिससे सरकारी बैंकों में नौकरी मिलती है.

आईबीपीएस क्या होता है?

जिस तरह से सिविल सेवा में भर्तियों के लिए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) परीक्षा करवाती है, ठीक वैसे ही पब्लिक सेक्टर बैंकों में रिक्रूटमेंट करने वाली संस्था का नाम है आईबीपीएस. इसका पूरा नाम है इंस्टीट्यूट ऑफ़ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन. इसे हिंदी में बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान कहा जाता है.

ये एक स्वायत्त यानी ऑटोनॉमस संस्था है, जो सरकारी बैंकों में भर्तियों के लिए हर साल परीक्षा करवाती है.

आईबीपीएस सात पदों के लिए परीक्षाएं करवाती है:

  • क्लर्क
  • प्रोबेशनरी ऑफ़िसर (पीओ)
  • स्पेशलिस्ट ऑफ़िसर (एसओ)
  • रीजनल रूरल बैंक (आरआरबी) ऑफ़िसर स्केल 1, स्केल 2, स्केल 3 और
  • ऑफिस असिस्टेंट

पब्लिक सेक्टर के 11 बैंक और 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आईबीपीएस की ओर से करवाई जाने वाली भर्ती परीक्षा का हिस्सा हैं.

इसमें बैंक ऑफ़ बड़ौदा, कैनरा बैंक, इंडियन ओवरसीज़ बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ़ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र, इंडियन बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं.

लेकिन देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई इसका हिस्सा नहीं है. क्योंकि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया अपनी भर्तियों के लिए खुद ही परीक्षा आयोजित करता है और उसका नोटिफ़िकेशन खुद जारी करता है.

आईबीपीएस परीक्षा के कितने स्टेज या लेवल होते हैं.

परीक्षा के कितने लेवल?

इस परीक्षा के मुख्य तौर पर तीन लेवल होते हैं.

  • प्रिलिम्स
  • मेंस
  • इंटरव्यू

क्लर्क पद के लिए सिर्फ़ दो परीक्षाएं होती हैं – प्रिलिम्स और मेंस. क्लर्क और पीओ के एग्ज़ाम के पैटर्न भी अलग होते हैं.

 कौन दे सकते हैं ये परीक्षा?

वैसे तो अलग-अलग पद की परीक्षा के लिए शैक्षणिक योग्यता भी अलग-अलग होती है, लेकिन मोटे तौर पर कुछ शर्तें हैं, जो इस एग्ज़ाम में बैठने के लिए ज़रूरी हैं, जैसे:

  • पीओ की परीक्षा देने के लिए भारतीय होना ज़रूरी है
  • उम्र 20 से 30 साल के बीच होनी चाहिए
  • मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री हो
  • कंप्यूटर के बारे में बुनियादी जानकारी भी हो

अगर किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के बैंक में भर्ती होनी है, तो उसकी आधिकारिक भाषा की जानकारी होनी भी ज़रूरी है.

पीओ के लिए क्षेत्रीय भाषा वाली शर्त अनिवार्य नहीं है.

इसके पीछे का तर्क समझाते हुए आईबीपीएस की परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाली टीचर तन्वी बताती हैं कि क्लर्क के एग्ज़ाम में कैंडिडेट्स की भर्ती उनकी प्राथमिकता यानी प्रेफ़रेंस वाले राज्यों में होती है. जबकि पीओ को पूरे भारत में कहीं भी भेजा जा सकता है. लेकिन आरआरबी यानी रीजनल रूरल बैंक के लिए पीओ और क्लर्क यानी सभी परीक्षाओं के लिए लैंग्वेज प्रोफ़िशिएंसी टेस्ट देना अनिवार्य है.

उम्र के मामले में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, पूर्व सैन्यकर्मी और विकलांग समेत अलग-अलग कैटेगरी में आने वाले उम्मीदवारों को तीन से 10 साल तक की रियायत मिलती है.

वहीं, अगर परीक्षा क्लर्क के लिए देनी है तो इसके लिए:

  • आवेदकों की उम्र 20 से 28 साल के बीच होनी चाहिए
  • वो भारतीय नागरिक होने चाहिए
  • उनके पास किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी की बैचलर्स डिग्री होनी चाहिए, या फिर किसी केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थान से बैचलर्स डिग्री के समान कोई दूसरी डिग्री

ये ज़रूरी नहीं कि बैंकिंग का एग्ज़ाम है तो आप कॉमर्स से ही ग्रेजुएट हों. आर्ट्स स्ट्रीम या साइंस स्ट्रीम वाले लोग भी ये परीक्षाएं दे सकते हैं.

मगर स्पेशलिस्ट ऑफ़िसर यानी एसओ के लिए संबंधित विषय से पढ़ाई होनी ज़रूरी है. जैसे लॉ ऑफ़िसर के लिए एलएलबी और मार्केटिंग मैनेजर के लिए एमबीए इन मार्केटिंग होना ज़रूरी है.

क्या होता है एग्ज़ाम का पैटर्न?

 इन परीक्षाओं का पैटर्न भी अलग-अलग होता है. पीओ परीक्षा में प्रीलिम्स के तीन सेक्शन होते हैं.

  • इंग्लिश लैंग्वेज
  • क्वॉन्टिटेटिव एप्टीट्यूड
  • रीज़निंग एबिलिटी

मेंस में ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव, दोनों तरह के सवाल किए जाते हैं.

  • ऑब्जेक्टिव सेक्शन में रीज़निंग और जनरल/इकोनॉमी/बैंकिंग अवेयरनेस, इंग्लिश लैंग्वेज और डेटा एनालिसिस इंटरप्रेटेशन होता है.
  • डिस्क्रिप्टिव सेक्शन में इंग्लिश लैंग्वेज जैसे लेटर और निबंध लेखन जैसे सवाल होते हैं.

आईबीपीएस में अब कंप्यूटर एप्टीट्यूड को हटा दिया गया है लेकिन एसबीआई की परीक्षा के लिए ये अब भी ज़रूरी है.

मेंस क्लियर करने वालों को आख़िर में इंटरव्यू देना होता है.

लेकिन एसबीआई की परीक्षा में इंटरव्यू के अलावा एक ग्रुप एक्सरसाइज़ भी होती है. इसे पहले ग्रुप डिस्कशन कहा जाता था लेकिन अब इसे ग्रुप एक्सरसाइज़ कहा जाता है.

साथ ही अब आईबीपीएस और एसबीआई दोनों ने ही परीक्षा पास करने के लिए साइकोमेट्रिक टेस्ट या पर्सनैलिटी टेस्ट भी करवाना शुरू कर दिया है.

क्लर्क के लिए सिर्फ़ प्रीलिम्स और मेंस देना होता है.

प्रीलिम्स में इंग्लिश लैंग्वेज, न्यूमेरिकल एबिलिटी और रीज़निंग एबिलिटी जैसे सेक्शन होते हैं.

मेंस में रीज़निंग एबिलिटी और कंप्यूटर एप्टीट्यूड, इंग्लिश लैंग्वेज, क्वॉन्टिटेटिव एप्टीट्यूड और जनरल/फ़ाइनेंशियल अवेयरनेस सेक्शन.

इनमें से जनरल और फ़ाइनेंशियल अवेयरनेस एक ऐसा पहलू है, जिसमें कुछ अलग सवाल किए जाते हैं. जैसे बैंकिंग सिस्टम कैसे काम करता है, आरबीआई कैसे काम करता है, महंगाई को कैसे नियंत्रित किया जाता है. बैंकों को कैसे रेगुलेट किया जाता है, बैंकों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय क़ानून क्या हैं.

परीक्षाओं में गलत जवाब के लिए नेगेटिव मार्किंग होती है और अगले स्टेज तक पहुंचने के लिए कैंडिडेट्स को कट-ऑफ़ मार्क्स क्वालिफ़ाई करना होता है.

अब सवाल ये है कि मेरिट लिस्ट बनती कैसे है. तो क्लर्क और पीओ दोनों के लिए प्रिलिम्स क्वॉलिफ़ाइंग है. यानी मेन्स तक पहुंचने के लिए इस एग्ज़ाम को पास करना है लेकिन मेरिट में इसके नंबर नहीं जुड़ते.

क्लर्क की मेरिट लिस्ट सिर्फ़ मेन्स के स्कोर के हिसाब से ही बनती है.

वहीं, पीओ की के लिए चूंकि इंटरव्यू भी होता है तो टोटल स्कोर मेन्स और इंटरव्यू के आधार पर बनता है. इन दोनों की व्हेटेज कुछ पेपर में 80:20 होती है और कुछ में 75:25 होती है. ज़्यादा व्हेटेज मेन्स का होता है.

सैलरी और तैयारी

आम तौर पर आरआरबी यानी ग्रामीण बैंकों में क्लर्क बनने पर पहली सैलरी 25 से 35 हज़ार के बीच होती है.

ये अलग-अलग जगहों के हिसाब से मिलने वाले भत्ते तय करते हैं कि सैलरी कितनी होगी. यानी जैसे-जैसे लोकेशन चेंज होती है, वैसे-वैसे भत्ते भी बदलते हैं और इसका असर सैलरी पर होता है.

वहीं, आईबीपीएस क्लर्क की सैलरी 30 हज़ार से 40 हज़ार के बीच होती है. एसबीआई क्लर्क के लिए ये वेतन 35 हज़ार से 45 हज़ार के बीच होता है.

अगर कोई आरआरबी यानी ग्रामीण बैंकों में पीओ बनता है तो पहली सैलरी 55 से 65 हज़ार के बीच होती है.

आईबीपीएस पीओ के लिए ये सैलरी 60 से 80 हज़ार और एसबीआई पीओ की सैलरी 80 हज़ार से डेढ़ लाख के बीच होती है.

आईबीपीएस की भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर हर साल 15-16 जनवरी को आईबीपीएस की वेबसाइट पर आ जाता है और हर साल पेपर होता है.

तन्वी बताती हैं, “साल के पहले महीने से स्टूडेंट्स को ये पता होता है कि परीक्षा कब होनी है, इंटरव्यू कब होना है. ऐसे में उनके पास योजना बनाने के लिए समय के साथ अन्य चीज़ों पर पहले से ही क्लैरिटी होती है.”

आख़िरी और सबसे अहम बात तैयारी कैसे करें?

तन्वी का मानना है “बच्चों को अपनी स्पीड पर ध्यान देना है. क्योंकि सिलेबस पूरा ख़त्म करना तो परीक्षा की तैयारी का 30-40 फीसदी हिस्सा ही है. इसके अतिरिक्त उन्हें कम से कम 50 मॉक टेस्ट देने होते हैं. ताकि पहले ही अटेम्प्ट में बच्चा परीक्षा पार कर ले.”

प्राइवेट बैंकों में कैसे मिलती है नौकरियां?

 सरकारी बैंकों से अलहदा भारत में प्राइवेट सेक्टर के क़रीब 20 बड़े बैंक हैं. ये पब्लिक सेक्टर के बैंकों से अलग होते हैं, जहां सरकार के पास मालिकाना हिस्सेदारी होती है. प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में ज़्यादातर हिस्सेदारी प्राइवेट इनवेस्टर के हाथों में होती हैं. भारत में ऐसे बैंकों की तादाद 20 से ज़्यादा है, जिनमें आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफ़सी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक जैसे बड़े नाम शामिल हैं.

ज़ाहिर है इनमें भी नौकरियों के मौके बनते रहते हैं. लेकिन सरकारी बैंकों की तरह इनमें कोई कॉमन एंट्रेस टेस्ट नहीं होता. प्राइवेट बैंकों में साल भर भर्तियां होती रहती हैं और ये क्वालिफिकेशंस, स्किल और इंटरव्यू से तय होती हैं. और इसका रास्ता क्या हो सकता है, गौर करें.

  • सबसे पहले ग्रेजुएशन की पढ़ाई. इनमें जिन डिग्री को वरीयता मिलती है, उनमें बीकॉम, बीबीए और बीएमएस (बैचलर ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज़) आती हैं
  • इकोनॉमिक्स, फाइनेंस या बैंकिंग
  • यहां तक कि बीए, बीएससी या इंजीनियरिंग ग्रेजुएट भी सेल्स या कस्टमर सर्विस जैसे एंट्री लेवल रोल के लिए अप्लाई कर सकते हैं
  • बैंक आम तौर पर अख़बारों में भर्तियों का एलान नहीं करते. ज़्यादातर हायरिंग ऑनलाइन या रेफ़रेल के ज़रिए होती हैं. इन प्लेटफ़ॉर्म पर एक्टिव रहना काम आ सकता है
  • बैंक की वेबसाइट पर करियर पेज को नियमित रूप से देखना
  • जॉब पोर्टल पर प्रोफ़ाइल बनाना
  • अपने शहर में वॉक-इन इंटरव्यू की जानकारी रखना
  • अगर आप कॉलेज में हैं और ग्रेजुएशन पूरी करने के क़रीब हैं तो ये पता लगाना कि क्या आपका प्लेसमेंट सेल बैंकों के साथ काम करता है
  • इंटर्नशिप पर फोकस. कई सारे ऐसे बैंक हैं, जो इंटर्न पूल से फुल-टाइम जॉब देते हैं
  • प्राइवेट बैंकों में आम तौर पर कुछ ही हफ्तों में हायरिंग प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है
  • पहले राउंड में ऑनलाइन एप्टिट्यूड या साइकोमेट्रिक टेस्ट हो सकता है
  • इसके बाद पर्सनल इंटरव्यू जो ऑनलाइन या फिजिकल हो सकता है
  • कुछ बैंक ग्रुप डिस्कशन पर भी फोकस करते हैं, ख़ास तौर से सेल्स से जुड़े प्रोफाइल को लेकर

बैंकिंग सेक्टर में कैसे मिलती है नौकरी Getty Images

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Comment

October 2025
S M T W T F S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  

Leave a Comment