बालोद में मनाई गई मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती — युवाओं के लिए प्रेरणा बने उनके विचार

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बालोद में मनाई गई मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती — युवाओं के लिए प्रेरणा बने उनके विचार

बालोद। भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा जिला बालोद द्वारा आज 15 अक्टूबर को भारत रत्न, मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती बालोद जिला मुख्यालय के वार्ड क्रमांक 08 में श्रद्धा और उत्साहपूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता एवं अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित पूर्व मंत्री शरद ठाकुर ने कहा कि डॉ. अब्दुल कलाम का जीवन संघर्ष, समर्पण और सफलता की प्रेरक कहानी है। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। एक साधारण परिवार में पले-बढ़े कलाम साहब ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद उच्च शिक्षा प्राप्त की और देश के मिसाइल तथा परमाणु कार्यक्रमों में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और “मिसाइल मैन” एवं “जनता के राष्ट्रपति” के रूप में देशवासियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। 27 जुलाई 2015 को उनका निधन हुआ, परंतु उनके विचार आज भी हर भारतीय को प्रेरित करते हैं।

अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष अकबर तिगाला ने कहा कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने विज्ञान और रक्षा के क्षेत्र में जो योगदान दिया, वह भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। उन्होंने भारत के मिसाइल और परमाणु शक्ति के विकास में प्रमुख भूमिका निभाई। स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 का निर्माण उनकी अगुवाई में हुआ। 1998 के पोखरण-II परमाणु परीक्षण में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने बताया कि डॉ. कलाम ने समन्वित निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत पृथ्वी, अग्नि, त्रिशूल, आकाश और नाग जैसी स्वदेशी मिसाइलों का सफल विकास हुआ। उनके नेतृत्व में भारत ने रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की।

कार्यक्रम में उपस्थित पूर्व मंत्री राजीव रिंकू शर्मा ने कहा कि डॉ. कलाम युवाओं के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहे हैं। वे हमेशा कहते थे कि “बड़ा सोचो, मेहनत करो और कभी हार मत मानो।” उन्होंने “टेक्नोलॉजी विजन 2020” के माध्यम से भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में देखने का सपना दिखाया। कलाम साहब स्वयं को हमेशा एक शिक्षक के रूप में पहचानते थे और युवाओं को ज्ञान व नवाचार के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे।

डॉ. कलाम का योगदान केवल विज्ञान तक सीमित नहीं रहा — उन्होंने राष्ट्रीय आपदाओं के समय मानवता की सेवा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डीआरडीओ के संसाधनों का उपयोग कर उन्होंने राहत और पुनर्वास कार्यों में सहयोग दिया।

इस अवसर पर रुखसाना बेगम, फिरोज कुरैशी, अजहरुद्दीन कुरैशी, असरार अहमद, नासिर खान, राजिक खान, रियाज खान, शाहना बेगम, फरीदा बेगम, जहाना बानो सहित भाजपा एवं अल्पसंख्यक मोर्चा के वरिष्ठ कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के अंत में डॉ. कलाम के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया।

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Author: Deepak Mittal

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