जशपुर। एक ओर जहां देशभर में 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पत्थलगांव क्षेत्र में मानवता को शर्मसार करने वाली एक परेशान कर देने वाली घटना सामने आई है। लाखझर गांव में एक किसान ने एक नाबालिग बच्चे को बिना किसी ठोस सबूत के खेत में नुकसान पहुंचाने और पुआल जलाने के आरोप में पेड़ से बांधकर बेरहमी से पीटा।
पेड़ से बांधा, घंटों तक पीटता रहा किसान
आरोपी किसान करमु राम ने नाबालिग को दिनदहाड़े पेड़ से बांधा और डंडों से बुरी तरह पीटा। आरोप था कि लड़के ने उसकी फसल को नुकसान पहुंचाया और पुआल जला दिया, लेकिन इसके पक्ष में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं था। घायल बच्चा कई घंटों तक उसी हालत में बंधा रहा।
व्हाट्सएप पर तस्वीरें साझा कर बढ़ाई हैवानियत
हद तो तब हो गई जब आरोपी ने घटना की तस्वीरें पंचायत विकास समिति के व्हाट्सएप ग्रुप में साझा कर दीं, जिससे मामला और अधिक तूल पकड़ गया। जैसे ही बच्चे के परिजनों को इस बारे में जानकारी मिली, वे मौके पर पहुंचे और घायल बच्चे को छुड़ाया। साथ ही किसान से नुकसान की भरपाई का वादा कर मामले को शांत कराने की कोशिश की गई।
अस्पताल में भर्ती, हालत नाजुक
घायल नाबालिग को तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज जारी है। बाल संरक्षण अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना पर गंभीर चिंता जताई है और इसे मानवाधिकार और बाल अधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया है।
समाज के लिए चेतावनी
इस अमानवीय घटना ने बाल श्रम निषेध दिवस की भावना को ठेस पहुंचाई है और यह सवाल खड़े किए हैं:
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क्या ग्रामीण क्षेत्रों में बाल अधिकारों को लेकर पर्याप्त जागरूकता है?
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क्या बच्चों की सुरक्षा के लिए हमारे कानूनों का पालन हो रहा है?
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क्या समाज में अब भी ऐसे अपराधों के प्रति संवेदनशीलता की कमी है?
विशेषज्ञों ने मांग की है कि इस घटना में कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी बाल अधिकारों का उल्लंघन करने से पहले दो बार सोचे।
