बी. डी. खाण्डेकर के निधन से समाज को अपूर्णीय क्षति हुई- एस. आर. उके..             

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गौतम बाल बोंदरे : दमोह (बालाघाट) क्षेत्रीय बौध्द समाज के महान कर्णधार, कर्मवीर,दानवीर, गांव के सहयोगी, सेवाभावी,स्पष्टवादी, समाजसेवी, मिलनसार व्यक्तित्व के धनी एवं शासकीय कार्य मे कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार, अनुशासित, हाल मे ही सेवानिवृत्त डिप्टी रेंजर बी. डी. खाण्डेकर साहब का अपने पत्नी का गोंदिया मे इलाज करवाने के दौरान स्वयं ही डेंगू से पीड़ित   असामयिक निधन होने से क्षेत्र मे शोक की लहर छा गई ।

दिवंगत खाण्डेकर की कार्यशैली एवं व्यवहार से बौध्द समाज ही नहीं क्षेत्र की जनता ने उन्हें नम आँखों से  अपनी अंतिम बिदाई एवं श्रृध्दांजलि दी! इस अवसर पर गांव के जनमानस व गणमान्य नागरिक गण तथा बालाघाट, बैहर, मंलाजखण्ड, बिरसा, सालेटेकरी, मजगांव, कचनारी, अचानकपुर, दमोह  बौध्द समाज के अनुयायी बडी तादाद मे उपस्थित होकर शोकाकुल खाण्डेकर परिवार के प्रति अपनी शोक संवेदना एवं दिवंगत खाण्डेकर जी को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की!

अपने पीछे अपनी अस्वस्थ पत्नी बायवंता खाण्डेकर, एकलौता सुपुत्र रवि खाण्डेकर, पुत्रवधु शोभा खाण्डेकर व अपने दो अनमोल नाती को रोता बिलखता छोडकर निर्वाण को प्राप्त हुये! उनके निधन पर आल इंडिया समता सैनिक दल के प्रांतीय सचिव व क्षेत्रीय सामाजिक कार्यकर्ता आयुष्मान एस. आर. उके ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये बताया कि, दिवंगत खाण्डेकर की सेवा भावना एवं दानपारमिता की मिशाल क्षेत्र मे सदा अमर रहेगी.

आपने अपने लाडले सुपुत्र दिवंगत महेश खाण्डेकर की स्मृति मे प्रज्ञादीप बुध्द विहार दमोह परिसर मे संविधान निर्माता बाबा साहेब डां आम्बेडकर की आदम्य कद प्रतिमा स्थापित की, इसके अलावा मजगांव, अचानकपुर, दमोह बौद्ध विहार व भिक्खु निवास कुटी   निर्माण मे आपका विशेष योगदान रहा, आपने अपने मान सम्मान की परवाह किये बिना समाजिक कार्यो मे सदा समर्पित रहे.

प्रतिदिन बुध्द विहार की साफ सफाई, झाडू लगाना एवं पूज्य भंते जी का ध्यान रखना आपकी दिनचर्या मे शामिल था! स्थानीय समाज के तीन आधार स्तंभ मे स्मृति शेष सम्हारुलाल खोब्रागढे के बाद, बी. डी. खाण्डेकर को खोकर उनके आभाव मे आयुष्मान तेजलाल उके जी एकदम असहाय हो गये है!

समाज के इन आधर स्तंभ द्वारा क्षेत्र का समाज संगठित व मजबूत हुआ है, उन्ही मे दिवंगत खाण्डेकर  के योगदान को समाज कभी भूल नहीं सकता, उनकी मृत्यु से समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है!

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Author: Deepak Mittal

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