27768KM स्पीड, 80 फीट साइज.आज धरती से टकरा सकता है Asteroid, पढ़ें नासा का ताजा अपडेट

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Asteroid May Strike to Earth Today: अंतरिक्ष की दुनिया में धरती, ग्रहों, आकाशगंगाओं के अलावा क्षुदग्रह, धूमकेतु और न जाने क्या-क्या हैं? जो धरती के आस-पास मंडराते रहते हैं। इनमें से क्षुदग्रह अकसर धरती के लिए खतरा बनकर मंडराते रहते हैं, क्योंकि इनके धरती से टकराने का खतरा रहता है।

पिछले कई महीनों से धरती की ओर लगातार एस्ट्रॉयड बढ़ रहे हैं और वे धरती के काफी करीब से गुजर जाते हैं।

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा अकसर एस्ट्रॉयड के धरती से टकराने की चेतावनी जारी करती है। ऐसी ही एक चेतावनी और नासा ने जारी की है, जिसके तहत आज फिर धरती की तरफ एक एस्ट्रॉयड तेजी से बढ़ रहा है और धरती के पास से गुजरेगा। नासा ने चेतावनी दी है कि अगर कुछ गड़बड़ हुई तो एस्ट्रॉयड धरती से टकराकर तबाही मचा सकता है।

ब्लू व्हेल और हवाई जहाज जितना बड़ा एस्ट्रॉयड

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एस्ट्रॉयड का नाम 2019 JN2 है और यह ब्लू व्हेल के जितनी बड़ी चट्टान है और इस हवाई जहाज जितना बड़ा इसका आकार है। इस चट्टान का व्यास करीब 80 फीट है। यह 27768 किलोमीटर प्रति घंटा (17000 मील) की रफ़्तार से पृथ्वी के आस-पास मंडरा रही है। यह आज पृथ्वी के पास से 3590000 किलोमीटर की दूरी से गुजरेगी।

हालांकि इस एस्ट्रॉयड से धरती को खतरा नहीं है, क्योंकि धरती और इसके बीच की दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से लगभग 9 गुना अधिक है। हालांकि इसे अंतरिक्ष के हिसाब से बहुत नज़दीक माना जाता है, लेकिन नासा ने आश्वासन दिया है कि चिंता की कोई बात नहीं है। इस तरह के निकट-पृथ्वी ऑब्जेक्ट्स (NEO) की निगरानी करना और अंतरिक्ष के मलबे से संभावित खतरों का आकलन करना नासा का प्रोजेक्ट है।

नासा का सेंटर एस्ट्रॉयड की विशेष निगरानी करता

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नासा का सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज (CNEOS) 2019 JN2 जैसे क्षुद्रग्रहों को ट्रैक करता है। उनका विश्लेषण करके अंतरिक्ष और इंसानों के बीच कनेक्शन को और मजबूत करने के लिए संभावनाएं तलाशता है।

एस्ट्रॉयड को ट्रैक करने के लिए नासा का सेंटर मॉडर्न टेक्नोलॉजी वाली दूरबीनों का इस्तेमाल करता है। एस्ट्रॉयड के रास्ते, उसकी स्पीड और उसकी दूरी की गणना करके रिसर्च की जाती है, जिसके परिणाम एस्ट्रॉयड के कारण भविष्य में अंतरिक्ष में होने वाले किसी भी बदलाव का पता लगाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

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Author: Deepak Mittal

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