ताजा खबर
जशपुर के 50 स्कूलों को स्मार्ट किट, मुख्यमंत्री ने शिक्षा क्रांति को बताया मील का पत्थर.. तपकरा को मिली नई पहचान: मुख्यमंत्री  साय ने तहसील कार्यालय का किया शुभारंभ, नगर पंचायत का दर्जा देने की घोषणा पटवारी पर रिश्वतखोरी का गंभीर आरोप, ग्रामवासियों का फूटा गुस्सा: कहा– फौती के बदले मांगे ₹5000, अब होगा जनआंदोलन!… पुरानी रंजिश पर बुजुर्ग की हत्या, घरघोड़ा पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार.. मौदहापारा पुलिस की दोहरी कार्रवाई: चाकू लहराने वाला बदमाश और अस्पताल में चोरी करने वाला सुरक्षा गार्ड गिरफ्तार केंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू ने निभाई छेरापहरा सेवा, स्वर्ण झाड़ू से की रथमार्ग की शुद्धि

कार्बन क्रेडिट खरीदने के लिए गूगल ने भारतीय स्टार्टअप से किया करार, बायोचार से जुड़ा सबसे बड़ा सौदा

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

भारत में कार्बन डाइऑक्साइड निष्कासन (सीडीआर) के लिए टेक कंपनी गूगल ने वराह नामक स्टार्टअप से किया करार किया है। दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने बताया कि वह वराह से कार्बन क्रेडिट खरीदेगा, जो बड़ी मात्रा में कृषि अपशिष्ट को बायोचार में परिवर्तित करता है।

बायोचार चारकोल का एक रूप है, जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को हटाता है और इसे मिट्टी में वापस भेजता है। गूगल और भारतीय स्टार्टअप वराह के बीच हस्ताक्षरित यह बायोचार से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा सौदा बताया जा रहा है।

गूगल उन कई बड़ी तकनीकी कंपनियों में से एक है जो सीडीआर पहल के जरिए उत्सर्जन की भरपाई करना चाहती हैं। बता दें कि सीडीआर के तहत वायुमंडल और महासागरों में पहले से मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को हटाने के लिए कुछ विशेषज्ञ महंगी नई तकनीकों पर विचार कर रहे हैं, जो सीधे हवा से कार्बन डाइऑक्साइड सोखने में कारगर बताई जाती हैं।

वहीं, बायोचार जैसे समाधान निकट भविष्य में एक सस्ता विकल्प साबित हो सकते हैं। गूगल वर्ष 2030 तक 1 लाख टन कार्बन क्रेडिट खरीदेगा। वराह के मुख्य कार्यकारी मधुर जैन ने कहा कि इसमें तेजी से विकास की गुंजाइश है, क्योंकि भारत के खेतों से निकलने वाले अपशिष्ट से हर साल पर्याप्त बायोचार उत्पन्न करने की क्षमता है, जिसका उपयोग 100 मिलियन टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड संग्रहीत करने में हो सकता है।

बायोचार बना टिकाऊ विकल्प
गूगल के कार्बन रिमूवल लीड रैंडी स्पॉक ने कहा, कार्बन हटाने के लिए बायोचार एक शानदार विकल्प है। इसका मिट्टी के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस पहल के तहत, वराह भारत में सैकड़ों छोटे किसानों से अपशिष्ट खरीदेगा और इसे बायोचार में बदलने के लिए रिएक्टर बनाएगा, जो सैकड़ों वर्षों तक कार्बन डाइऑक्साइड को अलग रखने में सहायक हो सकता है। इसे उर्वरकों के विकल्प के रूप में किसानों को भी आपूर्ति की जाएगी।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

June 2025
S M T W T F S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *