घरघोड़ा में चुनावी खेल: ट्रांसफर का छल, दलालों की साठगांठ और सड़कों की दिखावटी मरम्मत पर जनता ने उठाए सवाल…

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शैलेश शर्मा 9406398437नवभारत टाइम्स 24×7.in जिला ब्यूरो रायगढ़

घरघोड़ा: नगर पंचायत चुनाव से पहले घरघोड़ा में प्रशासनिक फेरबदल को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। फरवरी 2024 में SDM का ट्रांसफर आदेश जारी हुआ था, लेकिन वे अपनी कुर्सी से हिले ही नहीं। हैरानी की बात यह है कि अब उनके नए ट्रांसफर को छू इखदान से दिखा दिया गया है, जबकि वे पहले से ही घरघोड़ा में पदस्थ थे। इस घटनाक्रम ने प्रशासनिक पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह महज संयोग है, या फिर सत्ता के दबाव में खेला गया एक बड़ा प्रशासनिक खेल?

ट्रांसफर हुआ, मगर SDM हिले तक नहीं!
सूत्रों के मुताबिक, फरवरी 2024 में जारी आदेश के तहत SDM घरघोड़ा का ट्रांसफर कर दिया गया था, लेकिन वे अपनी जगह से गए ही नहीं। अब ताजा सूची में दिखाया जा रहा है कि उनका तबादला छुई खदान से हुआ है। सवाल यह उठता है कि जब वे घरघोड़ा में ही कार्यरत थे, तो चुइखदान से ट्रांसफर कैसे संभव हुआ? यह प्रशासनिक लापरवाही है या फिर किसी बड़े खेल का हिस्सा?

चुनाव से पहले क्यों हुए प्रशासनिक फेरबदल?
नगर पंचायत चुनाव से ठीक पहले सड़क मरम्मत का काम भी अचानक शुरू हुआ और अब SDM के ट्रांसफर को लेकर यह नया मामला सामने आया है। क्या यह सिर्फ संयोग है, या फिर चुनावी लाभ के लिए उठाया गया कदम? स्थानीय लोग इसे सत्ता और दलालों के गठजोड़ का नतीजा मान रहे हैं।

क्या सत्ता और दलालों की साठगांठ का नतीजा है यह ट्रांसफर?…

भाजपा नेताओं और प्रभावशाली दलालों की भूमिका: स्थानीय सूत्रों का दावा है कि कुछ भाजपा नेताओं और प्रभावशाली दलालों ने मिलकर SDM को बदले जाने की पूरी योजना तैयार की।

प्रशासन पर राजनीतिक दबाव: यह ट्रांसफर प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा होता, तो इसे लेकर कोई विवाद नहीं होता। लेकिन जब चुनावी माहौल गर्म है और अचानक यह फेरबदल हुआ, तो सवाल उठना लाजमी है।

क्या निष्पक्षता पर खतरा?… अगर प्रशासनिक तंत्र पर राजनीतिक दबाव इतना ज्यादा है कि ट्रांसफर आदेश सिर्फ कागजों में जारी हो रहे हैं, तो यह चुनावी निष्पक्षता पर भी बड़ा सवाल है।

जनता के बीच बढ़ रहा रोष, उठने लगे सवाल :
नगरवासियों का मानना है कि जब तक चुनाव नहीं आते, तब तक सड़कों की सुध नहीं ली जाती और प्रशासन निष्क्रिय रहता है। लेकिन चुनाव आते ही सड़कों की मरम्मत और अधिकारियों के ट्रांसफर जैसे कदम तेज़ी से उठाए जाते हैं। जनता अब इन खेलों को समझने लगी है और इस बार जवाब मांगने के मूड में नजर आ रही है।

अब क्या करेगी सरकार?…

  • यह मामला सिर्फ घरघोड़ा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र पर सवाल उठाने वाला मामला बन गया है।
  • क्या सरकार इस ट्रांसफर घोटाले की जांच कराएगी?
  • क्या चुनाव आयोग इस मामले को संज्ञान में लेगा?
  • क्या इस बार जनता इन चुनावी स्टंट्स के खिलाफ आवाज उठाएगी?

अब देखना होगा कि यह मामला जांच के दायरे में आता है या फिर हर बार की तरह यह भी चुनावी धुंध में गुम हो जाएगा। क्या घरघोड़ा की जनता इस बार जवाब मांगेगी, या फिर इस खेल को अनदेखा कर देगी?

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Author: Deepak Mittal

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