सुकमा : कैदियों को क्षेत्रीय भाषा गोंडी और हल्बी में तनाव प्रबंधन की दी गई जानकारी

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

सुकमा : कैदियों को क्षेत्रीय भाषा गोंडी और हल्बी में तनाव प्रबंधन की दी गई जानकारी

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कपिल कश्यप और सिविल सर्जन डॉ. एमआर कश्यप के निर्देशानुसार तथा एनएमएचपी नोडल अधिकारी डॉ. भीमाराम बारसे के मार्गदर्शन में बुधवार को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत उपजेल सुकमा में कैदियों को एक दिवसीय तनाव प्रबंधन का प्रशिक्षण ट्रेनिंग दिया गया। तनाव प्रबंधन के लक्षण और इसके उपायों के बारे में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि तनाव प्रबंधन कैदियों को उनके जीवन पर पड़ने वाले तनाव के प्रभाव से मुक्त होने में मदद करता है।

सभी को जेल में अपनी मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य का मतलब यह है कि आप कैसे सोचते हैं और क्या महसूस करते हैं। जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटने की आपकी क्षमता और जेल में अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल किस तरीके से रख सकते हैं इसके ऊपर विस्तार से चर्चा किया गया। उन्होंने कहा कि जेल के माहौल में जीवन को बेहतर ढंग जीने की कला सीखना है।

अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने अंदर सकारात्मक बदलाव करें। अन्य कैदियों और पेशेवरों के साथ सामंजस्य बनाएं जो आगामी भविष्य में मदद करें। नियमित व्यायाम और पौष्टिक भोजन करें। नींद का प्रबंधन करें, जिससे आप तनाव से बच पाएंगे। सभी ने भी कैदियों को तनाव मुक्त रहने के लिए अपने अनुभव साझा किए। डीएमएचपी टीम योगेश सिन्हा कम्यूनिटी नर्स, साइकाइट्रिक सोशल वर्कर रीना नायडू के द्वारा लोकल भाषा गोंडी और हल्बी में कैदियों को प्रशिक्षण दिया गया जिससे कैदियों को समझने में आसानी हो। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में जेल प्रभारी राजेश कुमार बिसेन का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

July 2025
S M T W T F S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *