जमीन बचाओ, बस्तर बचाओ आंदोलन तेज — इंद्रावती पार के किसानों ने उठाई आवाज, कहा: उद्योगपति ने छलपूर्वक हड़पी 127 एकड़ जमीन

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बीजापुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देशानुसार बस्तर क्षेत्र में चल रहे “जल-जंगल-जमीन बचाओ अभियान” के तहत कांग्रेस पदाधिकारियों का दल आज इंद्रावती नदी पार के ग्राम बड़े पल्ली, बैल और धर्मा पहुंचा। दल ने यहां प्रभावित ग्रामीणों और किसानों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को गहराई से सुना और उनका पक्ष जाना।

ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2006-07 में उन्हें विकासखंड भैरमगढ़ के अंतर्गत राहत शिविरों में बसाया गया था। इस दौरान रायपुर निवासी उद्योगपति महेंद्र गोपकर्ण द्वारा गुमराह कर और झूठे आश्वासन देकर 127 एकड़ जमीन को अपने नाम कराया गया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उनकी पैतृक जमीनों को धोखाधड़ी और छलपूर्वक कब्जा कर लिया गया है, जबकि वे वर्षों से उस जमीन पर जीवनयापन कर रहे थे।

कांग्रेस पदाधिकारियों ने प्रभावित किसानों के साथ स्थानीय पुलिस थाना पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु आवेदन सौंपा। आवेदन में उद्योगपति पर ग्रामीणों को गुमराह कर जमीन हड़पने का गंभीर आरोप लगाया गया है।

ग्रामीणों और कांग्रेस प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि—
जब तक हमारी पैतृक जमीन हमें वापस नहीं मिलती, हमारा संघर्ष जारी रहेगा। यह लड़ाई सिर्फ जमीन की नहीं, बल्कि बस्तर की अस्मिता, उसके जल-जंगल-जमीन और खनिज संसाधनों की रक्षा की लड़ाई है।”

आंदोलनकारियों ने ‘संघर्ष बस्तर के लिये, संघर्ष बस्तर के जल-जंगल-जमीन के लिये, संघर्ष खनिज संसाधनों को बचाने के लिये’ नारे लगाते हुए चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो वे व्यापक आंदोलन शुरू करेंगे।

इस अवसर पर उपस्थित ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा—
हम अपनी धरती नहीं छोड़ेंगे। हमारी मिट्टी हमारी मां है, इसे कोई खरीद या हड़प नहीं सकता।”
कांग्रेस पदाधिकारियों ने प्रशासन से मांग की कि प्रभावित किसानों की जमीनें तुरंत वापस दिलाई जाएं और दोषी उद्योगपति के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

“जमीन बचाओ, बस्तर बचाओ” के नारे के साथ यह आंदोलन अब पूरे दक्षिण बस्तर में जोर पकड़ने लगा है।

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Author: Deepak Mittal

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