जे के मिश्र,
जिला ब्यूरो चीफ
, नवभारत टाइम्स, 24*7in बिलासपुर
बिलासपुर। सरकंडा क्षेत्र में जमीन से जुड़े एक चर्चित फर्जीवाड़े के मामले में न्यायालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राजस्व निरीक्षक कमल किशोर कौशिक और पटवारी चंद्रराम बंजारे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। विशेष न्यायाधीश सुनील कुमार जायसवाल की अदालत ने यह फैसला सुनाया। दोनों अधिकारी पिछले कई दिनों से फरार हैं और अब पुलिस की कार्रवाई को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
क्या है मामला?
सरकंडा इलाके में सरकारी जमीन को लेकर रिकॉर्ड में हेरफेर कर स्वामित्व परिवर्तन करने का गंभीर आरोप सामने आया था। इस मामले में शासकीय सेवकों की संलिप्तता भी पाई गई थी। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि राजस्व विभाग से जुड़े दो अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध रही। इनमें राजस्व निरीक्षक कमल किशोर कौशिक और पटवारी चंद्रराम बंजारे का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है।
जमानत याचिका खारिज क्यों हुई?
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि पटवारी का कर्तव्य भूमि से संबंधित सभी जानकारियों की निगरानी करना और उच्च अधिकारियों को समय पर सूचित करना होता है। लेकिन इस प्रकरण में आरोपी पटवारी ने न केवल जानकारी छिपाई बल्कि 22 बिंदुओं पर एक फर्जी प्रतिवेदन बनाकर जांच को भ्रमित किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। इसी वजह से अग्रिम जमानत याचिका को अस्वीकार कर दिया गया।
पुलिस की अगली कार्रवाई
कोर्ट के निर्णय के बाद पुलिस पर इन फरार आरोपियों की गिरफ्तारी का दबाव बढ़ गया है। अब पुलिस उनकी लोकेशन ट्रेस कर रही है और संभावना है कि जल्द ही छापेमारी तेज की जाएगी। यदि आरोपी जल्द आत्मसमर्पण नहीं करते तो उनकी संपत्ति की कुर्की की कार्रवाई भी की जा सकती है।
प्रशासन और सरकार पर दबाव
चूंकि मामला भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग से जुड़ा हुआ है, इसलिए अब शासन और प्रशासन पर सख्त कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। लोगों की मांग है कि इस तरह के मामलों में दोषियों को जल्द गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जाए।
उल्लेखनीय है कि यह प्रकरण कांग्रेस नेता सुधांशु मिश्रा की शिकायत पर दर्ज हुआ था। मामला लगभग आठ साल पुराना है, लेकिन अब इसे लेकर न्यायालय और प्रशासन दोनों की सख्ती देखने को मिल रही है। अदालत ने यह भी पूछा है कि आखिर आठ साल बाद ऐसे क्या नए तथ्य सामने आए जिनके आधार पर तत्काल गिरफ्तारी जरूरी हो गई।
अब देखना होगा कि पुलिस इन फरार आरोपियों को कब तक गिरफ्तार कर पाती है और शासन इस मामले को किस तरह से आगे बढ़ाता है।
