रायपुर। रायपुर में आयोजित “नॉकआउट डिजिटल फ्रॉड” कार्यक्रम के दौरान साइबर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार देवांगन ने डिजिटल उपयोगकर्ताओं को सतर्क रहने और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के महत्वपूर्ण उपायों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने कहा कि युवा तकनीक के प्रति अधिक जागरूक हैं, क्योंकि वे डिजिटल युग में जन्मे हैं।

राजेश कुमार देवांगन ने बताया कि अधिकतर डिजिटल फ्रॉड इसलिए होते हैं क्योंकि लोग जल्दबाज़ी में या बिना सोच-समझे कदम उठा लेते हैं। उन्होंने सभी को सलाह दी कि फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने से पहले पांच मिनट सोचें, किसी अनजान लिंक या ऐप पर क्लिक करने से बचें और ओटीपी, पिन या संवेदनशील जानकारी किसी के साथ साझा न करें। उन्होंने कहा, “सतर्क रहें, सुरक्षित रहें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत पुलिस या साइबर सेल हेल्पलाइन से संपर्क करें।”
इस कार्यक्रम का आयोजन बजाज फाइनेंस लिमिटेड ने किया, जिसका उद्देश्य डिजिटल उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन धोखाधड़ी के तरीकों और अपने वित्तीय लेन-देन की सुरक्षा के उपायों से अवगत कराना है। यह पहल भारतीय रिजर्व बैंक के 2024 के धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन दिशा निर्देशों के अनुरूप है, जिसमें प्रारंभिक पहचान, कर्मचारियों की जवाबदेही और जनसहभागिता पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
कार्यक्रम में विशेष रूप से नागरिकों का ध्यान उन सामान्य वित्तीय धोखाधड़ी की ओर आकर्षित किया गया, जैसे कि फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट, व्हाट्सऐप ग्रुप्स और नकली वित्तीय वेबसाइटें। साइबर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि यदि उपयोगकर्ता सिर्फ पाँच मिनट रुककर सोचें, तो अधिकांश धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।
इस अवसर पर साइबर पुलिस के चिंतामणि साहू, अमित वर्मा, नितेश सिंह राजपूत, और अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ जयेश त्रिभुवन, पंकज गायकवाड़, वैभव सिंह, निखिल मिश्रा भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में कॉलेज छात्र, ऐलन सेंटर के स्टाफ और नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
बजाज फाइनेंस लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा कि ग्राहकों की वित्तीय सुरक्षा सर्वोपरि है और कंपनी लगातार डिजिटल और ऑफलाइन माध्यमों से लोगों को साइबर-सुरक्षा के प्रति जागरूक कर रही है। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को ओटीपी, पिन साझा न करने, संदिग्ध ईमेल/लिंक न खोलने, और अनजान ऐप डाउनलोड न करने जैसी उपयोगी सुरक्षा टिप्स भी दी गईं।
यह अभियान देशभर के प्रमुख शहरों और कस्बों में इंटरएक्टिव वर्कशॉप्स, डिजिटल अवेयरनेस ड्राइव्स और कम्युनिटी आउटरीच प्रोग्राम्स के रूप में आयोजित किया जा रहा है, ताकि डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र सभी के लिए सुरक्षित और जिम्मेदार बनाया जा सके।
Author: Deepak Mittal









