कोरबा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता के मामले में कार्यक्रम अधिकारी (PO) एम.आर. कर्मवीर को बर्खास्त कर दिया गया है। जिला कलेक्टर द्वारा की गई इस कड़ी कार्रवाई ने प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है।
सूत्रों के अनुसार, कर्मवीर ने जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा में पदस्थ रहते हुए, तत्कालीन सीईओ भुवनेश्वर सिंह राज के डिजिटल सिग्नेचर (DSC) का दुरुपयोग करते हुए बिना अनुशंसा और वैधानिक प्रक्रिया के 4.70 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत कर दी थी। यह राशि मजदूरी, सामग्री, वेतन और अन्य मदों में सीधे जारी की गई, जिसकी न तो कोई फाइल प्रक्रिया हुई, न ही जनपद सीईओ की जानकारी।
सीईओ के तबादले के बाद भी जारी रहा DSC का दुरुपयोग
जब भुवनेश्वर राज का स्थानांतरण हुआ और राधेश्याम मिर्झा ने नए सीईओ के रूप में कार्यभार संभाला, तब भी पीओ कर्मवीर ने पूर्व सीईओ के डीएससी का दो माह तक उपयोग कर राशि जारी की। इसकी जानकारी मिलते ही वर्तमान सीईओ ने जांच के आदेश दिए।
जांच में खुला बड़ा घोटाला
जांच में यह सामने आया कि 12 सितंबर 2022 से 7 नवंबर 2022 के बीच कर्मवीर ने बिना किसी वैधानिक अनुमति निम्नानुसार राशि जारी की:
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मजदूरी मद: ₹4,20,49,571
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सामग्री मद: ₹9,84,320
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प्रशासनिक मद: ₹33,04,548
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अर्द्धकुशल मजदूरी: ₹7,11,046
विशेष रूप से मजदूरी मद में 4.20 करोड़ रुपये की राशि बिना किसी प्रस्ताव के जारी की गई।
जवाब संतोषजनक न होने पर सेवा समाप्त
जांच के आधार पर कर्मवीर को कारण बताओ नोटिस दिया गया था, परंतु दो अवसर मिलने के बाद भी उनका उत्तर असंतोषजनक पाया गया। अंततः छत्तीसगढ़ संविदा नियुक्ति नियम 2012 के अंतर्गत उन्हें एक माह का वेतन देकर बर्खास्त कर दिया गया।
यह कार्रवाई जिला प्रशासन की ओर से स्पष्ट संदेश देती है कि अब किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता और पारदर्शिता में चूक को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
