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मुद्राएँ : शरीर और चेतना को संतुलित करने का साधन

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Deepak Mittal

योग और ध्यान में प्रयुक्त हस्त मुद्राएँ केवल हाथों के इशारे नहीं, बल्कि शरीर और मन की ऊर्जा को संतुलित करने की वैज्ञानिक पद्धति मानी जाती हैं। योगशास्त्र के अनुसार, मानव शरीर के दो पहलू हैं – दाहिनी ओर सौर ऊर्जा और बाईं ओर चंद्र ऊर्जा।

विशेषज्ञ के मतानुसार, ज्ञान मुद्रा जैसी हस्त क्रियाएँ पिंगला नाड़ी से प्रवाहित सौर ऊर्जा को इड़ा नाड़ी से प्रवाहित चंद्र ऊर्जा से जोड़कर ऊर्जा संतुलन स्थापित करती हैं। यही कारण है कि मुद्राएँ न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सहायक होती हैं, बल्कि मानसिक स्थिरता और आध्यात्मिक जागरूकता के लिए भी उपयोगी सिद्ध होती हैं।

ध्यान और योग की प्रक्रिया में मुद्राओं का प्रयोग एकाग्रता को बढ़ाने, मन को भीतर की ओर केंद्रित करने तथा साधना को गहन बनाने के लिए किया जाता है।
प्रमुख हस्त मुद्राओं में

नमस्कार मुद्रा : श्रद्धा और आभार का प्रतीक

चिन मुद्रा : एकाग्रता और शांति प्रदान करने वाली

ज्ञान मुद्रा : स्मरण शक्ति और मानसिक संतुलन के लिए उपयोगी

वायु मुद्रा : शरीर में वायु तत्व के असंतुलन को नियंत्रित करने वाली

आधुनिक जीवन की भागदौड़ और तनावपूर्ण दिनचर्या में, इन प्राचीन मुद्राओं का अभ्यास व्यक्ति को न केवल स्वस्थ रख सकता है, बल्कि मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान कर सकता है।

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Author: Deepak Mittal

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