बिलासपुर आयुर्वेद विभाग में फर्जी नियुक्ति का खुलासा, संयुक्त कलेक्टर ने मांगा सात दिन में जवाब..

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Deepak Mittal

जे के मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स 24*7 in बिलासपुर

बिलासपुर। जिले के आयुर्वेद विभाग में फर्जी डिग्री और अंकसूचियों के दम पर नौकरी करने वालों का मामला अब जोर पकड़ने लगा है। इस पूरे प्रकरण में विभागीय अधिकारियों पर लापरवाही और लीपापोती करने के आरोप लग रहे हैं।

सूत्रों के जानकारी के अनुसार, आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में चतुर्थ श्रेणी के पद पर नियुक्त एक कर्मचारी के पास दो अलग-अलग अंकसूचियों के दस्तावेज मिले हैं। इनमें से एक रेगुलर अंकसूची 44% अंक वाली है, जबकि दूसरी समतुल्यता प्रमाण पत्र के तहत बनाई गई अंकसूची में 97% अंक दर्ज हैं। गौर करने वाली बात यह है कि समतुल्यता प्रमाण पत्र 2008 में जारी हुआ, जबकि रेगुलर प्रमाण पत्र 2009 का है। इससे यह सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर नियुक्ति में किस दस्तावेज को मान्य माना गया और श्रेणी सुधार की जरूरत क्यों पड़ी?

शिकायतकर्ता ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि ये दस्तावेज फर्जी हैं और नियुक्ति प्रक्रिया नियमों के खिलाफ हुई है। नियमानुसार, यदि कोई उम्मीदवार एक से अधिक प्रमाण पत्र पेश करता है या समतुल्यता प्रमाण के साथ अलग अंकसूची देता है, तो उसकी नियुक्ति स्वतः रद्द मानी जानी चाहिए। इतना ही नहीं, आवेदन में आवश्यक शपथ पत्र भी जमा नहीं किया गया था।

महत्वपूर्ण बात यह है कि इस मामले को लेकर विभाग में कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। न ही संबंधित कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है, बस विभागीय फाइलों में कार्रवाई लंबित बताकर मामले को टाला जा रहा है।

अब संयुक्त कलेक्टर बिलासपुर ने विभाग के प्राचार्य एवं अधीक्षक को पत्र जारी कर सात दिनों के भीतर पूरी जांच रिपोर्ट कलेक्टर कार्यालय में प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी या मामला फिर से दबा दिया जाएगा?

नवभारत टाइम्स 24*7in बिलासपुर इस प्रकरण पर अपनी पैनी नजर बनाए रखेगा और आगे की जानकारी भी विभाग से प्राप्त होने पर भेजेगा।

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