महाराष्ट्र में बीजेपी को अगर जीत मिली तो इसका राष्ट्रीय राजनीति पर क्या असर होगा
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है. शुरुआती रुझान आने शुरू हो गए हैं.
झारखंड में कांटे की टक्कर दिख रही है तो महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन महायुति ने शुरुआती बढ़त बना ली है.महाराष्ट्र चुनाव के एग्ज़िट पोल्स की अगर बात करें तो अधिकतर पोल में बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति की सरकार बनने का अनुमान था. मई में हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी ने कुल 48 सीटों में से 30 सीटें जीती थीं और महायुति को 17 सीटों पर ही कामयाबी मिली थी. लेकिन विधानसभा चुनाव में शुरुआती संकेत अलग दिख रहे हैं.
भविष्य की राजनीति का रास्ता?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के लिए तो अहम है ही शिव सेना और एनसीपी के लिए भी महत्वपूर्ण है. शिव सेना और एनसीपी दोनों बँट चुकी हैं. ऐसे में जिसकी जीत होती है, उसकी असली शिव सेना और एनसीपी पर दावेदारी मज़बूत होगी.
मुंबई देश की आर्थिक राजधानी मानी जाती है और जिसकी वहाँ सरकार बनेगी, उसका आर्थिक राजधानी पर कंट्रोल होगा. कांग्रेस अगर यहाँ चुनाव हारती है तो लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा के अलावा यह दूसरी सबसे बड़ी हार होगी.
इसी साल हुए लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी 240 सीटें हासिल कर पाई थी और उसके नेतृत्व में एनडीए की सरकार बन पाई. विश्लेषकों ने इस परिणाम को बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक झटके की तरह देखा था क्योंकि इसकी वजह से एनडीए के घटक दलों का महत्व काफ़ी बढ़ गया था.
इससे पहले 2014 और 2019 में बीजेपी ने केंद्र में अपने दम पर सरकार बनाई थी. इस बार बहुमत नहीं मिलने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ा गया था. लेकिन हरियाणा में जीत, जम्मू-कश्मीर में अच्छा प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में जीत होती है तो ये कहना मुश्किल हो जाएगा कि पीएम मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है.
एनडीए के भीतर बीजेपी का दबदबा और बढ़ेगा. ऐसे में सहयोगी पार्टियों का दख़ल एनडीए में कमज़ोर होगा. अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव है और बीजेपी यहाँ भी नीतीश कुमार के साथ सीटों की साझेदारी में मन मुताबिक़ डील कर सकती है.
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे भले केंद्र में मोदी सरकार चल रही है लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी को मिल रही लगातार जीत से समीकरण बदलेगा. ऐसे में नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार से बहुत तोलमोल नहीं कर पाएंगे.
मोदी होंगे और मज़बूत
हरियाणा में पिछले दस सालों से बीजेपी सरकार थी और लगातार तीसरी बार भी जीत मिली. 10 सालों की सत्ता विरोधी लहर और राज्य में चल रहे कई सरकार विरोधी आंदोलनों के बावजूद बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आई.
विश्लेषकों का मानना था कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिलने से विपक्ष मज़बूत होगा लेकिन उसके बाद हुए चुनावों में विपक्ष ऐसा कुछ कर नहीं पाया. अगर विपक्षी पार्टियां हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव जीत जातीं तो केंद्र की मोदी सरकार कमज़ोर होती और एनडीए के भीतर भी बीजेपी का दखल कम होता.बीजेपी का मज़बूत होना न केवल विपक्षी पार्टियों के लिए निराशाजनक है बल्कि एनडीए के भीतर भी सहयोगी दलों को लिए बहुत अच्छी स्थिति नहीं होगी.
महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे अधिक 149 सीटों पर चुनाव लड़ी है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने मोदी की लोकप्रियता और नीतियों के अधार पर ही चुनाव लड़ा था. अगर यहाँ बीजेपी की सरकार बनती है तो यह मोदी की ही जीत बताई जाएगी. महाराष्ट्र में बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तो यहाँ अपना सीएम बना सकती है.
कांग्रेस के लिए यह बहुत निराशाजनक होगा क्योंकि लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने के बाद पार्टी को जो नई ऊर्जा मिली थी, वहां ठहराव की स्थिति आएगी. पार्टी को भविष्य की रणनीति पर फिर से विचार करना होगा और लोग नेतृत्व पर भी सवाल उठाएंगे.दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी की जीत होती है तो इसे कांग्रेस की जीत बताया जाएगा और साथ ही उसे एक नई ऊर्जा मिलेगी.
महाविकास अघाड़ी को अगर झटका लगा तो एक बार फिर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और ख़ासकर राहुल गांधी पर सवाल उठ सकते हैं. उनकी नेतृत्व क्षमता को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं.हालांकि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव सभी पार्टियों ने मिलकर लड़ा है तो किसी एक के सिर ठीकरा फोड़ना भी मुश्किल हो सकता है.ढाई महीने बाद ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. फ़रवरी 2025 में होने जा रहे इस चुनाव में तीन मुख्य पार्टियां मैदान में हैं.
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन नहीं हो सका था और दिल्ली में भी ये गठबंधन नहीं होने जा रहा है.महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे का असर दिल्ली विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है. हालांकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी मज़बूत है और बाक़ी राज्यों से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है.जानें उनका धार्मिक महत्व और इतिहास… सनातन धर्म में कितने अखाड़े हैं