जे के मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स24*7in बिलासपुर
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी में एक बड़ा शहरी विकास घोटाला उजागर हुआ है। नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीसीपी) विभाग की मिलीभगत से बीते एक दशक में एक फर्जी आर्किटेक्ट “विकास सिंह” के नाम पर 400 से अधिक भवन नक्शे और 150 से ज्यादा लेआउट स्वीकृत कर दिए गए। विभागीय जांच में यह खुलासा होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
सूत्रों के अनुसार, विकास सिंह नाम का कोई अधिकृत आर्किटेक्ट या वास्तुविद अस्तित्व में नहीं है। इसके बावजूद वर्ष 2015 से 2025 तक नगर निगम के रिकॉर्ड में उसके नाम से लगातार नक्शे पास होते रहे। 13 मई 2025 को एक अवैध निर्माण पर हुई कार्रवाई के बाद जब दस्तावेजों की गहन जांच शुरू हुई, तब यह फर्जीवाड़ा सामने आया। इसके बाद 24 जुलाई को फर्जी आर्किटेक्ट का लाइसेंस ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
जांच में यह भी सामने आया कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने एक ही दिन में विकास सिंह के नाम से 29 फाइलों को स्वीकृति दे दी थी। इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह घोटाला संभव नहीं था।
सूत्रों के अनुसार, एक नक्शा पास कराने के लिए 8,000 से 20,000 रुपये तक और एक एकड़ भूमि के लेआउट के लिए 75,000 से 2.5 लाख रुपये तक की लेन-देन होती थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर निगम प्रशासन अब इसे आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) को सौंपने की तैयारी कर रहा है और जल्द ही एफआईआर दर्ज की जा सकती है।
यह घोटाला शहर की प्लानिंग प्रक्रिया में गहरी खामियों और भ्रष्टाचार के जड़ तक फैले होने का संकेत देता है। अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या दोषियों पर जल्द कार्रवाई होती है या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।
