ताराचंद साहू बालोद जिले की कलम से,,,,
छत्तीसगढ़ राज्य जिसकी पहचान धान के कटोरा, शांत और सौम्य राज्य के रूप में पूरे देश में जाना जाता है। लेकिन आज उसी राज्य में नशा और अपराध परोसा जा रहा है। बीते कुछ दिनों पहले धमतरी में जिस प्रकार से रायपुर के तीन युवकों की निर्मम हत्या आठ लोगों ने मिलकर किया उससे प्रदेश में बढ़ते हुए नशे का कारोबार व जाल सामने आए है।सात राज्यों की सीमाओं से जुड़े छत्तीसगढ़ में भी नशे की बड़ी खेप पहुंचती है। लोकल तस्करों की मदद से उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, झारखंड, तेलंगाना, पंजाब और महाराष्ट्र के रास्ते छत्तीसगढ़ में नशे की सामग्री आती है। मेट्रो सिटी की तर्ज पर यहां के युवा भी महंगे नशे के शौकिन होते जा रहा हैं। राज्य में हुक्का बंद होने के बाद नाइट पार्टियों का ट्रेंड बढ़ा है।
छत्तीसगढ़ में गांजा, अल्फाजोन, सिरप, अफीम, ब्राउन शुगर, हेरोइन, चरस, कोकिन और अन्य नशे के सामानों की बिक्री होती है। बाहरी राज्यों के तस्कर अलग अलग माध्यमों से इनकी तस्करी करते हैं। वे यहां के युवाओं को नशे की खेप पहुंचाते हैं। नारकोटिक्स सेल ने ओड़िशा, मध्यप्रदेश, दिल्ली समेत अनेक राज्यों से तस्करों को पकड़ा है. इन आरोपियों के साथ नशीली सामग्री बेचने वालों के अलावा मेडिकल स्टोर संचालक और कई बड़े रसूखदार लोग भी शामिल हैं।तस्कर बकायदा कोड वर्ड के सहारे नशे के कारोबार को संचालित करते हैं। ये लोग युवाओं को रिझाने के लिए नाइट पार्टियों का सहारा लेते हैं, ताकि उनका कारोबार फल फूल सके। इसके लिए वे प्राइवेट पार्टियां भी आर्गनाइज करते हैं.
प्रदेश मे लगातार बढ़ रहे नशे की लत के चलते अपराधिक घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। पिछले बीते कुछ सालों में करीब 50000 अपराधिक घटनाएं हुई है। इसमें 70 फीसदी अपराधिक घटनाएं नशे के कारण हुई है। जबकि 2018 के पहले अपराध का ग्राफ 2022-23 की अपेक्षा 15 फीसदी कम था।नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के अनुसार इस समय छत्तीसगढ़ के विभिन्न न्यायालयों में 4 लाख 19 हजार 239 प्रकरण लंबित है। इसमें 3 लाख 38 हजार 994 प्रकरण आपराधिक और 80 हजार 245 सिविल प्रकरण शामिल हैं।नशे के कारण ही 60 से 70 फीसदी तक आपराधिक घटनाएं होती है। बड़ी ही आसानी से दवाई दुकानों से लेकर गली-मोहल्ले में इसके मिलने के कारण खास तौर से युवा वर्ग इसका उपयोग कर रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक युवाओं में तेजी से इसका चलन और पैर फैल रहा है।जिसके चलते युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो रहा है।
इन दिनों युवतियों और महिलाओं में धूम्रपान की लत अधिक देखने को मिल रही है। हम 21वीं सदी की बात करते हैं, तो महिलाओं में पुरुषो मे एक बराबरी का विचार उनके मन में चलता है। आज का समय काफी एडवांस है हम कभी भी यह न समझे कि बराबरी का मतलब गलतियों को अपने आप में खूबियां बनाकर के धारण करने से नहीं बराबरी तो आपकी सोच में होनी चाहिए। यदि छत्तीसगढ़ के स्कूलों की बात की जाए तो यहां पर भी कई सारे ऐसे वीडियो देखने को मिले हैं, जब लड़कियां सिगरेट पीती नजर आतीं हैं. हॉस्टल में लड़कियों के लिए फ्री जोन मिल जाता है, क्योंकि हॉस्टल में रोज-रोज माता-पिता ध्यान नहीं देते कोई उनके सामान की तलाशी नहीं करता. जहां पर बच्चियों को ऐसा लगता है कि हम भी लड़कों की बराबरी कर रहे हैं। इस चक्र में वो अबोध स्थिति में वे फंसते चली जाते हैं। पुरुषों से बराबरी के चक्कर में भी आज के दौर में युवतियां स्मोक करती हैं, जो कि आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेता है और उनकी जान पर बन आती है।
छत्तीसगढ़ में शराब और सियासत का चोली-दामन का नाता है। राज्य सरकार ने राज्य में 67 नया शराब दुकानें खोलकर राज्य के लोग को नशा करने छुट दे रहा है। जिससे इस छोटे से राज्य में शराब की मान्यता प्राप्त दुकानों की संख्या बढ़कर 741 हो जाएगी। छत्तीसगढ़ में शराब प्रेमियों की सहूलियत को राज्य सरकार ने और बढ़ा दी है। दुर्घटना में भले एम्बुलेंस पहुंचे या नहीं उसकी कोई जवाबदेही न बनती पर कौन से दुकान पे कौन सी शराब उपलब्ध है इसकी जानकारी के सरकार के तरफ से ऐप भी जारी किया गया है। राज्य सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए शराब से 11 हजार करोड़ रुपए का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा था जो पूरा नहीं हो पाया लेकिन प्रदेश को 9 हजार 800 करोड़ रुपयों का राजस्व प्राप्त हुआ। जानकारी के अनुसार, नए वित्तीय वर्ष 2025-26 में शराब से राजस्व का लक्ष्य 13 हजार करोड़ रुपए रखा गया है। जिसे नई नीति के तहत हासिल करने की कोशिश होगी।देश के सर्वाधिक शराब पीने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ पहले नंबर पर आ गया है, यह प्रदेश के लिए कलंक का विषय है। दवाई की दुकान में नशीली सीरप, गोली और कैप्सूल खुलेआम बिक रहे हैं,लेकिन, पुलिस, जिला प्रशासन और ड्रग विभाग की टीम आंख मूंदे बैठी है। राज्य सरकार एक ओर शराबबंदी का ढिंढोरा पीट रही है, दूसरी ओर छत्तीसगढ़ शराबखोरी में पहले नंबर पर आ रहा है।
प्रदेश में शिक्षा की बात करें तो केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से प्रदेशों के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूली सुविधाओं की परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स जारी किया है। देशभर के 28 राज्यों व 8 केन्द्र शासित प्रदेशों के बाद 34वां नंबर छत्तीसगढ़ का है। शिक्षा और सुविधा के मामले में छत्तीसगढ़ चौथी श्रेणी में पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ निचले पायदान से तीसरे स्थान पर शिक्षा के क्षेत्र में अपना स्थान बना पाया। प्रदेश के कई जिलों में शिक्षा का स्तर और सुविधाएं देश के 33 राज्यों के स्कूलों की तुलना में कम हैं। प्राइवेट स्कूलों की तरह सरकारी स्कूलों में भी सुविधाएं देनी चाहिए। गुणवान शिक्षकों की नियुक्त के साथ अच्छे लैब की व्यवस्था की जानी चाहिए। राज्य में अगर आत्मानंद स्कूल नहीं होते तो शायद अंतिम पायदान मिलता। छत्तीसगढ़ से लगे महाराष्ट्र ए प्लस श्रेणी में हैं। इसके साथ ही ओडिशा और उत्तर प्रदेश प्रथम श्रेणी के साथ ग्रेड वन की सूची में हैं। इसके साथ ही झारखंड और तेलंगाना दूसरी श्रेणी में शामिल हैं। इसके साथ ही बिहार और मध्यप्रदेश तीसरे श्रेणी में शामिल हैं। वहीं छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश और नागालैण्ड के साथ संयुक्त रूप से चौथी श्रेणी में शामिल हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग का क्या मौजूदा स्थिति है प्रदेश में इससे सब भली-भांति परिचित हैं।
मौजूदा वर्तमान सरकार से छत्तीसगढ़ वासियों को यह उम्मीद है कि आने वाले समय में राज्य में जिस प्रकार से अपराध की गतिविधियां नशे का कारोबार वअन्य गैर इरादतन घटनाओं के बारे में एक कठोर व दंडात्मक कार्रवाई क़दम उठाए। गांव से लेकर शहरों तक हर गली मोहल्ले में शराब गंज और अन्य नशीली पदार्थ को बेचने के लिए जिस प्रकार से लोग कोचिये व तस्करो के रूप में सक्रिय है इससे प्रदेश में नशे के कारोबार और भारी भांति फल फूल रहा है। सरकार को कोशिश करनी चाहिए कि प्रदेश की जो छवि नशे के रूप में पूरे देश के सामने प्रकट हुआ है उसमें सुधार कर भय मुक्त और खुशहाल वातावरण का निर्माण करें।

Author: Deepak Mittal
