जल संकट की चपेट में बालोद जिला कार्यालय: 800 से अधिक लोगों का दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त, आंदोलन की चेतावनी

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बालोद,, जिला मुख्यालय स्थित संयुक्त कार्यालय परिसर अप्रैल के इस समय भीषण जल संकट से जूझ रहा है। बीते दो वर्षों से लगातार गहराती यह समस्या अब अपने चरम पर पहुंच गई है। कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, बाल विकास, खाद्य, खनिज, कोषालय सहित करीब 40 विभागों के 500 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी और प्रतिदिन काम से आने वाले 300–400 आम नागरिक अब पीने के पानी से लेकर शौचालय और स्वच्छता जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए परेशान हैं।

खनिज विभाग के सहायक अधिकारी बताते हैं, “दिन भर मिट्टी में धंसे पाइप से गंदा और कम दबाव वाला पानी आता है, जिससे काम चलाना मुश्किल हो गया है।” इसी तरह, कार्यालय में डॉक्टरी कागजात के लिए पहुंचे नगर पालिका अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया, “यह पानी न तो पीने लायक होता है, न ही साफ-सफाई के काम का। हमें मजबूरी में पीने का पानी साथ लाना पड़ता है।”

सूखे बोरवेल और प्रशासन की निष्क्रियता

जल स्तर में लगातार गिरावट ने कार्यालय परिसर के लगभग सभी बोरवेल को सूखा दिया है। बीते सालों में टैंकर मंगवाकर जैसे-तैसे पानी की आपूर्ति की जाती रही, पर स्थायी हल आज तक नहीं निकाला गया। वर्षा जल संचयन और नई बोरवेल ड्रिलिंग जैसे उपायों पर अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी।

जिला के विभिन्न अधिकारी-कर्मचारी कहते हैं, “हमने बार-बार समस्या को लेकर मौखिक और लिखित शिकायतें दी हैं, लेकिन न जल संसाधन विभाग ने रुचि दिखाई, न अनुविभागीय अधिकारी ने। यदि अगले एक सप्ताह में समाधान नहीं निकाला गया, तो हमें मजबूरी में धरना प्रदर्शन करना पड़ेगा।”

बालोद नगर भी जल संकट की गिरफ्त में

यह समस्या केवल सरकारी दफ्तरों तक सीमित नहीं है। पूरे बालोद नगर में भूजलस्तर गिर चुका है और कई मोहल्ले अब टैंकरों के भरोसे जी रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि अफवाहें फैलने के बावजूद प्रशासन ने अभी तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की, जिससे असमंजस और चिंता बढ़ती जा रही है।

समाधान की संभावनाएं: विशेषज्ञों की राय

जल विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों के सुझाव के अनुसार, संकट के त्वरित समाधान हेतु आवश्यक हैं:

  1. गहरे ट्यूबवेल की ड्रिलिंग—जल संसाधन विभाग और नगर पालिका के संयुक्त प्रयास से।
  2. वर्षाजल संचयन की व्यवस्था—रिचार्ज पिट्स और छतों पर गटर कनेक्शन के माध्यम से।
  3. अस्थायी टैंकर और जल शुद्धिकरण यूनिट की तत्काल तैनाती।

जनप्रतिनिधियों ने की कलेक्टर से आपात बैठक की मांग

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी से आपात समीक्षा बैठक बुलाने की मांग की है। साथ ही, मुख्यमंत्री कार्यालय से संवेदनशील हस्तक्षेप की अपील की जा रही है।

यदि शीघ्र और स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, तो जिला कार्यालय की कार्यप्रणाली ठप पड़ने की नौबत आ सकती है, जिसका प्रभाव प्रशासनिक कार्यों के साथ आम जनता पर भी पड़ेगा।,,

इस संबंध में अपर कलेक्टर चंद्रकांत कौशिक कहते हैं की जल संकट अवश्य है इसे आगामी दिनों में बेहतर तरीके से समस्या का निदान किया जाएगा,, जल संकट तो है परंतु समाधान भी निकल जाएगा कर्मचारियों अधिकारियों की मांग उचित है उस पर चिंतन कर निदान किया जाएगा,,000

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Author: Deepak Mittal

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