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बालको प्लांट हादसा: सुरक्षा मानकों पर फिर सवाल, क्या दोहराएगा इतिहास खुद को?

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Deepak Mittal

कोरबा। कोरबा के बालको एल्यूमिनियम प्लांट में शुक्रवार को बड़ा हादसा हो गया। यहां राख फिल्टर (Electrostatic Precipitator – ESP) का करीब 20 साल पुराना संयंत्र अचानक ढह गया। घटना के वक्त आसपास कोई श्रमिक मौजूद नहीं था, जिससे बड़ी जनहानि टल गई। लेकिन इस हादसे ने एक बार फिर से प्लांट की सुरक्षा व्यवस्थाओं और प्रबंधन की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

2004-05 में बना था ईएसपी

जानकारी के अनुसार, यह ईएसपी वर्ष 2004-05 में सेपको कंपनी द्वारा निर्मित किया गया था। अचानक इसके ढह जाने से यह स्पष्ट होता है कि पुराने संयंत्रों की समय-समय पर तकनीकी जांच और मेंटेनेंस में लापरवाही बरती जा रही है।

पहले भी हो चुका है हादसा

बालको प्लांट में इससे पहले भी चिमनी गिरने की बड़ी दुर्घटना हो चुकी है। उस समय यह उम्मीद जताई गई थी कि सुरक्षा मानकों को कड़ाई से लागू किया जाएगा, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि प्रबंधन ने पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया।

कर्मचारियों का आरोप

स्थानीय कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उद्योगपतियों के दबाव में श्रम विभाग केवल औपचारिक कार्रवाई तक सीमित रहता है। सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण रोजाना श्रमिकों की जान खतरे में रहती है।

अन्य हादसे भी कर रहे चेतावनी

कुछ दिन पहले रायपुर के गोदावरी पावर प्लांट (हीरा ग्रुप) में हुए हादसे में छह श्रमिकों की मौत हो गई थी। लगातार हो रही औद्योगिक दुर्घटनाएं यह साबित करती हैं कि सुरक्षा मानकों का पालन केवल कागजों पर किया जा रहा है, जमीनी स्तर पर नहीं।

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Author: Deepak Mittal

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