जे के मिश्र / बिलासपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी केके श्रीवास्तव को बिलासपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। 15 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में श्रीवास्तव द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका को चीफ जस्टिस की बेंच ने खारिज कर दिया है। पुलिस श्रीवास्तव को पहले ही भगोड़ा घोषित कर चुकी है और उनकी गिरफ्तारी के लिए सक्रिय है।
500 करोड़ के ठेके का वादा और 15 करोड़ की धोखाधड़ी
केके श्रीवास्तव पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 500 करोड़ रुपये का ठेका दिलाने का झांसा दिया था। इस वादे के बदले रावत एसोसिएट्स के मालिक अर्जुन रावत ने जुलाई 2023 में 10 से 17 तारीख के बीच श्रीवास्तव को 15 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। लेकिन कंपनी को कोई काम नहीं मिला, जिससे ठगी का मामला उजागर हुआ।
कंपनी ने कराया धोखाधड़ी का मामला दर्ज
ठगी की घटना के बाद रावत एसोसिएट्स की ओर से रायपुर के तेलीबांधा थाने में श्रीवास्तव के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया। पुलिस ने श्रीवास्तव और उनकी पत्नी कंचन श्रीवास्तव की तलाश शुरू कर दी थी, लेकिन दोनों फरार चल रहे हैं।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
गिरफ्तारी से बचने के लिए श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने कड़ी टिप्पणी की और इसे ‘बहुत बड़ी ठगी’ करार दिया। श्रीवास्तव की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस मुरलीधरन ने पैरवी की थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

Author: Deepak Mittal
