कलेक्टर की कड़ी कार्रवाई, पूर्व CMO समेत तीन अधिकारी निलंबित.. ट्रेडिंग कंपनी मालिक पर FIR, जानें पूरा मामला

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जे के मिश्र बिलासपुर। जिले के कलेक्टर ने एक्शन मोड में आते हुए बड़ी कार्रवाई की है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल की कालाबाजारी के मामले में जगदीश ट्रेडिंग कंपनी के संचालक रवि कुमार नागदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं, नगर पालिका से संबंधित निर्माण कार्यों में अनियमितताओं के चलते तीन शासकीय अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।

खाद्य विभाग की जांच के बाद कार्रवाई

खाद्य विभाग की संयुक्त जांच टीम ने 30 सितंबर को चांटीडीह स्थित जगदीश ट्रेडिंग कंपनी का निरीक्षण किया था। यहां चावल को पॉलिश करने के लिए सॉर्टेक्स मशीन पाई गई। जांच के दौरान फर्म संचालक ने घोषणा पत्र में बताया कि उसके पास 1399 क्विंटल चावल और 1108 क्विंटल कनकी का स्टॉक है। लेकिन भौतिक सत्यापन में 1563.18 क्विंटल चावल और 1083.50 क्विंटल कनकी पाया गया, जो घोषित स्टॉक से 163.49 क्विंटल अधिक था।

फर्म संचालक के खिलाफ कलेक्टर का निर्देश

कलेक्टर के निर्देशानुसार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के चावल की हेराफेरी के मामले में सरकंडा थाना में फर्म संचालक रवि कुमार नागदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि फर्म संचालक सरकारी चावल को साफ करके उसे सामान्य चावल के रूप में ऊंची कीमत पर बेच रहा था। यह आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है, जिसके चलते प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की है।

पूर्व CMO और दो अन्य अधिकारी निलंबित

इस पूरे मामले में सिर्फ चावल की कालाबाजारी ही नहीं, बल्कि रतनपुर नगरपालिका से जुड़े निर्माण कार्यों में भी अनियमितताएं पाई गईं। नवीन कार्यालय भवन निर्माण के लिए जारी टेंडर प्रक्रिया में देरी, अनियमितताएं और आर्थिक नुकसान की संभावनाओं के चलते राज्य शासन ने तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी (CMO) हरदयाल रात्रे, सब इंजीनियर वैभव अग्रवाल और प्रभारी क्लर्क अजित सिंह को निलंबित कर दिया है। इन अधिकारियों को बिलासपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में भेजा गया है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली का चावल मिला

भौतिक सत्यापन में यह पुष्टि हुई कि फर्म में जो चावल मिला, वह सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित होने वाला चावल था। नागरिक आपूर्ति निगम के गुणवत्ता निरीक्षक को बुलाकर चावल और कनकी का नमूना लिया गया। इसमें 1.1% एफआरके पाया गया, जो गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों को सरकारी उचित मूल्य की दुकानों से दिया जाता है।

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Author: Deepak Mittal

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