जे के मिश्र / बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में दुर्ग निवासी नीतेश सिंह सोरी द्वारा बस परमिट के नामांतरण को सही ठहराया है। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया गया है। यह मामला दुर्ग-रायपुर मार्ग पर चलने वाले परमिट क्रमांक 01/1991 का था, जिसे परमिटधारी सत्यम कसार से नीतेश सिंह सोरी को हस्तांतरित किया जाना था। इस संबंध में नियमानुसार आवेदन क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण (आरटीए), छत्तीसगढ़ के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
राज्य परिवहन अपीलीय प्राधिकरण का निर्णय कायम
23 फरवरी 2022 को क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण में सुनवाई के दौरान कोई आपत्ति सामने नहीं आई थी। इसके बावजूद 26 जुलाई 2022 को आरटीए ने परमिट नामांतरण आवेदन को यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि परमिट का हस्तांतरण चल-अचल संपत्ति की तरह नहीं किया जा सकता है और यह केवल परिवार के भीतर ही हो सकता है। इस निर्णय के खिलाफ नीतेश सोरी ने राज्य परिवहन अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील की, जिसमें 19 मई 2023 को निर्णय हुआ कि परमिट नामांतरण को अस्वीकार करना अवैध है और 30 दिनों के भीतर नामांतरण करने का आदेश दिया गया था।
हालांकि, आरटीए ने निर्धारित समयावधि के भीतर नामांतरण नहीं किया। इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने इस आदेश के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 3 अक्टूबर 2024 को जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की एकल पीठ ने राज्य सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण का निर्णय तर्कसंगत नहीं है। हाईकोर्ट ने राज्य परिवहन अपीलीय प्राधिकरण के फैसले को न्यायसंगत ठहराते हुए परमिट नामांतरण को सही माना।

Author: Deepak Mittal
