विधानसभा में CAG रिपोर्ट पेश, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से 33.63 करोड़ की दवा एक्सपायर..

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रायपुर – छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस निगम लिमिटेड (सीजीएमएससीएल) की लापरवाही से 33.63 करोड़ की दवा एक्सपायर हुई है, वहीं, 49.68 करोड़ के उपकरण अनुपयोगी पड़े है। रिपोर्ट अनुसार 24 करोड़ की दवाएं ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से खरीदी गई है।


कोरोना काल के दौरान बिना अनुशंसा के 23.13 करोड़ रुपये की दवाएं खरीदी गई है।

जानकारी तब बाहर आई ज़ब, विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन पटल पर सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई।

स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी 2016 से 2022 तक की ऑडिट रिपोर्ट में कई गंभीर खामियां पाई गई हैं। मार्च-2022 को समाप्त वर्ष तक के लिए तैयार रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन कंपनियों ने घटिया दवा की सप्लाई की, उनसे क्वालिटी वाली दवा लेना तो दूर न तो 1.69 करोड़ जुर्माना लगाया और न ही 24.60 लाख डैमेज शुल्क लिया गया। क्रय नियमों का भी पालन नही किया गया है।

मेडिकल सामानों की सेंट्रल एजेंसी होने के बावजूद 27 से 50.65 फीसदी खरीदी लोकल पर्जेच के माध्यम से करनी पड़ी है, क्योंकि जरूरत के अनुसार क्रय नियमावली तैयार नहीं की जा सकी.


278 निविदाएं सीजीएमएससीएल की ओर से निकाली गई, लेकिन इनमें से 165 टेंडर तीन से 694 दिनों तक फाइनल नहीं किए जा सके। इससे समय पर सप्लाई नहीं हुई और महंगे दाम पर लोकल पर्चेज करना पड़ा।

वर्ष 2016-22 के दौरान मांग की गई मात्रा से आवश्यक दवाओं का 48.82 प्रतिशत एव 63.59 प्रतिशत के मध्य था, जिसके लिए आरसी को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। परिणास्वरूप 2017-22 के दौरान 97.93 करोड़ की दवाओं का स्थानीय क्रय किया गया।

विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी, शुरू नहीं हुए विभाग
स्वास्थ्य विभाग में स्वीकृत पदों की तुलना में अधिकारी-कर्मचारियों की भर्ती में भी बहुत बड़ा अंतर है।
कैग रिपोर्ट के अनुसार, 23 जिला अस्पतालों में 33 प्रतिशत विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी है।

पैरामेडिकल स्टाफ 13 प्रतिशत तक कम हैं। सीएचसी की हालत और खराब हैं। यहां 72 प्रतिशत स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी हैं। 32 प्रतिशत नर्स और 36 प्रतिशत पैरामेडिकल स्टाफ की कमी हैं।

राज्य के कई शासकीय मेडकिल कालेजों में एक भी स्पेशलिस्ट डाक्टर नहीं हैं, जिसके चलते आठ-आठ साल से वो विभाग भी शुरू नहीं हो पाए हैं।


जगदलपुर मेडिकल कालेज में कैंसर यूनिट नहीं शुरू हो सकी, इसी तरह राजनांदगांव मेडिकल कालेज में स्पेशलिस्ट डाक्टर नहीं होने के चलते हृदयरोग विज्ञान, न्यूरोलाजी विभाग का ओपीडी नहीं शुरू हो सका।

कैग की रिपोर्ट अनुसार,

– 4,996 में से 502 एसएचसी (उप स्वास्थ्य केंद्र) में कोई एएनएम की नियुक्ति नहीं, स्वीकृत पद का 17 प्रतिशत रिक्त

– 23 एमसीएच (मातृ शिशु अस्पताल) में डाक्टर व कर्मचारी के 915 स्वीकृत पद में से 694 की पदस्थापना, 24.15 की कमी

– आयुर्विज्ञान परिषद के मानक के अनुसार बिस्तर क्षमता के अनुसार स्टाफ नर्स नहीं किया गया था तय

– शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालयों में 29 प्रतिशत चिकित्सक, 60 प्रतिशत स्टाफ नर्स व 29 प्रतिशत शिक्षण स्टाफ की कमी

– चयनित जिलों में 538 औषधालयों में से 130 बिना चिकित्सक के संचालित

– सात जिला अस्पतालों में से चार में जांच के उपरांत आपातकालीन वार्ड में आवश्यक सुविधाएं नहीं

– प्रदेश के 23 जिला अस्पतालों में से पांच में नवजात शिशु देखभाल इकाई सेवा की कमी

– 15 जिलों में एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस की संख्या अपर्याप्त

– 41 स्वास्थ्य संस्थानों में से 39 के पास अग्नी सुरक्षा लाइसेंस नहीं, 30 में चिकित्सालय संक्रमण नियंत्रण समिति का गठन नहीं

– सीजीएमएससीएल के सक्षम अधिकारी के अनुमोदन के बिना उपकरणों और दवाओं खरीदी के लिए नए दर अनुबंध की वैधता अवधि को बढ़ाया गया

– दवाओं व उपकरणों की खरीदी के लिए निविदाएं थोक की बजाए सांकेतिक मात्रा के साथ की गई आमंत्रित

– दरों की औचित्य आंकलन किए बिना उच्च दरों पर की गई खरीदी

– एनएचएम से प्राप्त निधि का उपयोग करने में विफल, 453.20 करोड़ में से केवल 244.58 करोड़ ही व्यय

– असंचारी रोगों (एनसीडी) जैसे हृदय, मधुमेह, फेफड़ों के रोग, कैंसर व उच्च रक्तचात के मामले 2016-17 में 24,144 से बढ़कर 2021-22 में 12,13,113 हो गए।

एनसीडी कार्यक्रम के अंतर्गत प्राप्त 36 करोड़ की निधि मार्च 2022 तक उपयोग में नहीं लाई गई।

– 2.22 लाख गर्भवती महिलाओं को नहीं दी गई प्रोत्साहन राशि

– 1,52,790 क्षय रोगियों में से 26,332 को प्रति माह 500 रुपये नहीं किया गया हस्तांतरित

– 29.62 करोड़ की निधि जारी करने के बावजूद 222 में से 120 स्वास्थ्य संस्थानों में ईटीपी नहीं हुआ स्थापित।

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Author: Deepak Mittal

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