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8वें वेतन आयोग काल से जाने आपकी जेब पर कैसे पड़ेगा असर समझिये Pay Commission का पूरा गणित

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Deepak Mittal

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को 8वें वेतन आयोग के गठन का रास्ता साफ कर दिया। इसके साथ ही केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनर्स को हाथ में कुछ अतिरिक्त रकम बचने की उम्मीद जग गई है।

कर्मचारियों को कुल कितना फायदा होगा, इसका सटीक पता 8वें वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशों के बाद ही चलेगा। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 2026 में समाप्त होगा, जिसके बाद 8वें वेतन आयोग को लागू किया जाएगा।

सभी होते हैं प्रभावित
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल से केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में अच्छा खासा उछाल आया था। साथ ही पेंशनर्स के खाते में आने वाली रकम भी बढ़ गई थी। इस लिहाज से, 8वें वेतन आयोग को मंजूरी उनकी लंबे समय से चली आ रही मुराद पर मुहर के समान है। वेतन आयोग के लागू होने से केवल सरकार और उसके कर्मचारियों पर ही असर नहीं पड़ता, बल्कि बाकी जनता भी डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से प्रभावित होती है।

इन सेक्टर्स को फायदा
आमतौर पर वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू होने के 2-3 सालों तक नए आवास, कार और घरेलू सामानों की मांग में तेजी रहती है। 2016 में 7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू होने पर लगभग सभी कार कंपनियों की बिक्री के आंकड़े मजबूत हुए थे। दरअसल, सैलरी या पेंशन बढ़ने से सरकारी कर्मचारियों की जेब में अतिरिक्त पैसा आ जाता है। ज्यादा पैसे से पर्चेजिंग पावर बढ़ती है और वह इसका इस्तेमाल अपनी पसंद की चीजों को खरीदने में करते हैं। ऐसे में 8वें वेतन आयोग के लागू होने से इन सेक्टर्स को भी फायदा होगा।

टूरिज्म में आएगी तेजी
इसके अलावा, वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू होने का पर्यटन पर भी सकारात्मक असर देखा जाता रहा है। पहले के मुकाबले लोग घूमने-फिरने पर ज्यादा खर्चा करने लगे हैं। जब सरकारी कर्मचारियों को बढ़ी हुई सैलरी मिलेगी, तो जाहिर है उसका इस्तेमाल वे ट्रेवलिंग के लिए भी करेंगे। लिहाजा, टूरिज्म इकोनॉमी को सरकार के इस फैसले से बूस्ट मिल सकता है।

महंगाई बढ़ाएगी चिंता
हालांकि, ऐसे लोग जो केंद्र सरकार के कर्मचारी या पेंशनभोगी नहीं हैं, उन्हें जरूर कुछ परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू होने का असर महंगाई पर भी दिखता है। इससे बाजार में मांग बढ़ जाती है। किसी भी चीज के दाम डिमांड और सप्लाई के अंतर पर निर्भर करते हैं। डिमांड जब सप्लाई से ज्यादा होने लगे तो कीमतें बढ़ जाती हैं। जब केंद्र सरकार के कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा तो वे ज्यादा खर्चा करेंगे। इससे डिमांड और सप्लाई के बीच का गैप बढ़ेगा और कीमतें चढ़ जाएंगी।

सरकार का बढ़ेगा बोझ
सरकार पर इसके असर की बात करें, तो उसका खर्चा बढ़ेगा। सातवां वेतन आयोग फरवरी 2014 में गठित किया गया था और उसकी सिफारिशें 2016 में लागू हुई थीं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे सरकारी खजाने पर 114000 करोड़ को बोझ पड़ा था। जाहिर है 8वें वेतन आयोग के मामले में भी ऐसा होगा। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सरकार केवल अतिरिक्त बोझा ही उठाएगी। उसके राजस्व में भी इजाफा होगा।

राजस्व में इजाफा भी होगा
सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ेगी, तो उन्हें टैक्स भी पहले की तुलना में अधिक देना होगा। टैक्स से मिलने वाली रकम सरकारी खजाने में जाती है। इस तरह सरकार के राजस्व में इजाफा होगा। कुल मिलाकर कहें तो 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें कई तरह से अपना असर डालेंगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे खपत बढ़ेगी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगी।

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Author: Deepak Mittal

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