डिघारी गांव के 40 प्रतिशत शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा, फिर भी प्रशासन मौन

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आरंगः ग्राम पंचायत डीघारी के जागरूक युवा साथी व अधिवक्ता आयुष दुबे ने गाव के 40 प्रतिशत शासकीय जमीन पर अवैध कब्जा से आम ग्रामीणों को हो रही परेशानी पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि जिला मुख्यालय रायपुर से महज 35 किलोमीटर की दूरी पर लगे नाग देवता के वरदानी गांव डिघारी में शासकीय जमीन पर अतिक्रमण की बाढ़ आ गई है और प्रशासन अभी तक आंख मूंदकर सोया हुआ है। शुरुआत में जब भाजपा की सरकार बनी तो शहर में बहुत से जगहों में अवैध कब्जा ढहाए गए, लेकिन गांव की तरफ प्रशासन ने कभी ध्यान ही नही दिया।

इसका आलम यह है कि अतिक्रमणकारियों ने खेत, धरसा, परिया यहां तक की सरकारी रास्ते और तालाब के पार को भी नहीं छोड़ा ऐसी कोई सरकारी जमीन नहीं बची जहां पर अवैध कब्जा नहीं हो। यहां के लोग अवैध कब्जा से खासा परेशान है अतिक्रमणकारी अवैध रूप से आवास का निर्माण कर रहे हैं, जिसके चलते गांव में चलने तक की जगह मुश्किल से मिलती है। बड़ी गाड़ीयो का आना-जाना गांव के अंदर नही हो पाता, अतिक्रमण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष जब किसानों के इकट्ठा किए हुए पैरा में आग लगा तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी गांव के अंदर नही घुस सकी। इस प्रकार के अतिक्रमण से गांव की सुरक्षा को भी खतरा है, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिन हितग्राहियों को फायदा मिला है, वह भी शासकीय जमीन पर अपने आवास तैयार कर रहे हैं और शासन प्रशासन के नियमों के धड़ल्ले उड़ा रहे हैं।

प्रशासन भी इससे बेखबर सभी के पीएम आवास पास करते जा रहा है और उन्हें रहने के लिए पक्के घर देते जा रहा है, जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले और भी बुलंद होते जा रहे हैं और धीरे-धीरे वह लोग सारी सरकारी जमीन पर कब्जे करते जा रहे हैं। आयुष दुबे ने बताया कि गांव में न हीं चारागाह के लिए भूमि है और न हीं बच्चों के लिए खेल का मैदान यहां तक की छोटे से हिस्से में गौठान का निर्माण किया गया है उसमें भी अवैध कब्जा हो चुका है। शासन-प्रशासन द्वारा बहुत प्रकार से नियम और अधिनियम बनाए जाते हैं शासकीय जमीन के अवैध कब्जे को खाली करने के लिए ताकि गांव अच्छा और सुंदर दिखे और उसमें सभी जगह के लिए रास्ते और जगह बचे रहे ये सब सिर्फ बोलने की बातें है, प्रशासन भी इसमें ध्यान नहीं देता न हीं अमल करता है, न हीं गांव के लोग स्वयं अपने फायदे के लिए उसमें अमल करते हैं।

पटवारी द्वारा आजतक इसकी शिकायत तहसीलदार को नही की गई है और तहसीलदार द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई आज तक गांव में नहीं हो पाया है। इन सभी पक्के आवासों और कब्जा किए जगहो से तुरंत अवैध कब्जा हटाने की आवश्यकता है, जिससे इन भूमि पर स्कूल, कॉलेज, चारागाह, हॉस्पिटल, खेल मैदान सामुदायिक भवन इत्यादि बनाए जा सके आयुष दुबे ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के बाद जितने भी लोगो ने शासकीय भूमि पर कब्जा किया है, उन सब के आवास को तोड़ा जाना चाहिए, भले ही वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ही क्यो न बने हो। उन्होंने बताया कि आबादी जमीन पर सालों से काबिज लोगों को पहले पट्टा वितरण किया गया था, उसके बाद बहुत वर्ष बीत चुके हैं अभी भी स्थानीय प्रशासन द्वारा किसके पास कितनी साइज का पट्टा है व कौन बिना पट्टे के काबिज है इसका भी सर्वे नहीं कराया गया है।

उसका नतीजा यह है कि उन्हें जितनी जमीन दी गई थी उससे भी अधिक जमीन पर वह काबिज हो गए हैं और जिनके पास पट्टा नहीं है वह भी अधिक जगह घेर कर आवास बना लिए है और कई कई लोग तो शासकीय भूमि पर ब्यारा, बाड़ी आदि बनाकर कब्जा कर रहे हैं। जितने भी अवैध घर बने है वह रास्ते पर बने है और उनमें सोख्ता भी नही है जिसके कारण वह अपने शौचालय का पानी गली व गांव के मुख्य तालाब में डाल देते है जो किसी भयानक बीमारी को फैलाने के लिए बहुत काफी है, इस पर कारवाई करने की बहुत ही आवश्यकता है।

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Author: Deepak Mittal

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