दिल्ली में गीता कॉलोनी की गलियां आम ज़िंदगियों की चहल-पहल से गुलज़ार थीं, लेकिन किशन लाल के दिमाग में तूफ़ान था. नेपाल की शांत पहाड़ियों में काम करने वाला एक मामूली रसोइया, जिसकी जिंदगी में भारी हल चल थी.
अपनी पत्नी सुनीता के बारे उसे ऐसा शक हुआ, जो उसे अंदर से खाए जा रहा था, धोखे और बेवफाई की आहट उसके दिमाग में गूंज रही थी. यही वजह थी कि सच जानने के लिए वह दिल्ली से मुंबई तक अपनी पत्नी का पीछा करता रहा.
दरअसल, वे दोनों कई महीनों से अलग रह रहे थे, लेकिन अभी तक उनका तलाक नहीं हुआ था. अलगाव हो जाने के बावजूद वो पत्नी पर नजर रखता था. या यूं कहें कि पत्नी के लिए उसका जुनून कम नहीं हुआ था. ना जाने उसके भीतर क्या चल रहा था. उसे लगने लगा था कि उसकी पत्नी सुनीता अब किसी ओर के संपर्क में थी. यही बात उसे खाए जा रही थी.
वो 23 नवंबर की शाम थी. शनिवार का दिन था. उसी दिन किशन लाल के सिर पर जैसे शनि सवार हो गया था. वो शराब के नशे और गुस्से में सराबोर था. इसी हालत में वो अपनी पत्नी के सुनीता के घर जा पहुंचा. वहां उनके दोनों बच्चे भी मौजूद थे. उसे देखते ही बच्चे उसकी तरफ दौड़ पड़े. वो दोनों अपने पिता की मन में उमड़ रहे तूफ़ान से अनजान थे.
घर के अंदर, जब किशन और सुनीता का सामना हुआ तो हवा में बिजली सी दौड़ गई. दोनों के बीच बहस होने लगी. दोनों आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे, किशन सुनीता को वापस ले जाने की जिद कर रहा था. लेकिन सुनीता ने उसे जाने से साफ इनकार कर दिया. इसी बात ने किशन लाल के गुस्से को और बढ़ा दिया. उसने फौरन दोनों बच्चों को कमरे से बाहर निकाला दिया और कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया.
कमरे से दोनों के लड़ाई झगड़े की आवाज़े बाहर आ रही थीं. सुनीता की मां बार-बार दरवाजा खोलने के लिए कह रही थी. शोर शराबा हो रहा था. सुनीता की चीखें रात को चीरती हुई सुनाई दे रही थीं, लेकिन कुछ देर बाद वहां सन्नाटा छा गया. कमरे से आवाज़ आना बंद हो गई. ये एक भयानक सन्नाटा था. जब दरवाजा खोला गया तो किशन अपनी पत्नी सुनीता के खून से सने बेजान जिस्म के साथ खड़ा था, उसके हाथ में एक चाकू दिख रहा था. उसके चारों ओर खून जमा दिख रहा था, जो किशन लाल की बेरहमी की गवाही दे रहा था.
वो दर्दनाक लम्हा था. सुनीता की मां तक पुलिस को फोन कर चुकी थी. जो मौके पर पहुंच चुकी थी. किशन लाल बीवी का कत्ल करने के बाद जैसे जम सा गया था, वो पछता रहा था. पुलिस ने दरवाजा खोलकर कमरे में कदम रखा और पाया कि किशन कमरे के बीच में बैठा था, उसके चेहरे पर उसकी करतूत उभरी हुई थी. वो खामोश था. सारा मंजर उसके गुनाह की गवाही दे रहा था.
एक पुलिस अधिकारी तेजी से आगे बढ़ा, और किशन लाल को हथकड़ी लगाकर बाहर ले गया. लेकिन उसकी भयावह आंखें सुनीता के बेजान जिस्म पर टिकी रहीं. उसके बच्चे रो रहे थे. सुनीता की मां निढाल होकर जमीन पर गिर पड़ी थी. प्यार से शुरु होने वाली किशन लाल और सुनीता की प्रेम कहानी शक के घेरे में आकर पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी थी. और दिल्ली की गीता कॉलोनी में इस प्रेम कहानी का खौफनाक अंजाम देखने को मिला.बोरोबेकरा में आगजनी, 6 लोगों का कत्ल और महिला का रेप-मर्डर… मणिपुर हिंसा से जुड़े मामलों की जांच में जुटी NIA