रुपाणी के जन्म के बाद में उनका परिवार भारत आकर राजकोट में बस गया। उन्होंने बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सक्रिय सदस्य रहे। यहीं से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई। आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा, जिससे उनकी राष्ट्रवादी विचारधारा और मजबूत हुई। वे राजकोट नगर निगम में पार्षद चुने गए और मेयर के पद तक पहुंचे। रूपाणी को 2002 में गुजरात पर्यटन बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। 2006 से 2012 तक वे राज्यसभा सांसद रहे। 2014 में राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतकर वे पहली बार गुजरात विधानसभा के सदस्य बने। नवंबर 2014 में उन्हें आनंदीबेन पटेल सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
म्यांमार में जन्मे रूपाणी ने 7 अगस्त 2016 को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सितंबर 2021 में उन्होंने अप्रत्याशित रूप से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। रूपाणी की पत्नी अंजलि बेन पिछले छह महीने से लंदन में हैं और वे उन्हें वापस लाने के लिए वहां जा रहे थे।
विजय रूपाणी गुजरात की राजनीति में शांति, अनुभव और संगठन क्षमता का पर्याय रहे हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य के विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका राजनीतिक सफर एक जनसेवक के रूप में शुरू हुआ और धीरे-धीरे एक वक्त वह भी आया, जब वे राज्य के सर्वोच्च पद पर पहुंचे।
