सिर्फ 23 साल की उम्र में, खूबसूरत और उभरती हुई इस एक्ट्रेस की उनके ही ड्राइवर ने बेरहमी से हत्या कर दी थी।
रानी पद्मिनी का जन्म 1962 में चेन्नई (तब मद्रास) में हुआ था। उनकी मां इंद्रा कुमारी खुद एक जानी-मानी डबिंग आर्टिस्ट थीं। इंद्रा चाहती थीं कि उनकी बेटी एक दिन सिनेमा की बड़ी नायिका बने। इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने बेटी का नाम रखा ‘पद्मिनी’, जो उस दौर की मशहूर एक्ट्रेस और डांसर पद्मिनी से प्रेरित था। बचपन से ही इंद्रा ने बेटी को क्लासिकल डांस, अभिनय और कैमरा फेसिंग की ट्रेनिंग दिलाई। जब पद्मिनी किशोरावस्था में पहुंचीं, तो मां-बेटी मुंबई आ गईं ताकि बॉलीवुड में किस्मत आज़मा सकें।
मुंबई में पद्मिनी और उनकी मां ने काफी संघर्ष किया। शुरुआत में छोटे विज्ञापनों और डांस परफॉर्मेंस तक सीमित रहीं। फिर 1981 में मलयालम फिल्म ‘वलंगुम वीणायम’ से उन्हें पहला मौका मिला, हालांकि इसमें उनका किरदार छोटा था, लेकिन अभिनय को सराहना मिली। इसके बाद फिल्म ‘संकरशम’ से पद्मिनी को पहचान मिली। धीरे-धीरे उन्होंने मलयालम, तमिल और कन्नड़ सिनेमा में अपना नाम बनाया। उन्होंने उस दौर के बड़े सितारों जैसे मोहनलाल, ममूटी, माइक मोहन, कार्ती और राजकुमार सेतुपति के साथ काम किया। कुल मिलाकर रानी पद्मिनी ने लगभग 60 फिल्मों में अभिनय किया और दक्षिण भारत की सबसे तेज़ी से उभरती अभिनेत्रियों में गिनी जाने लगीं।
सफलता के बाद पद्मिनी ने अपनी मेहनत से चेन्नई के अन्ना नगर में एक छह कमरों का आलीशान बंगला खरीदा। वह यहां अपनी मां इंद्रा के साथ रहने लगीं। जीवन स्थिर हो चुका था — काम मिल रहा था, नाम और पैसा दोनों थे। फिर भी उन्होंने अपने परिवार और जरूरतमंदों की मदद करने की आदत नहीं छोड़ी थी। घर संभालने के लिए उन्होंने अखबार में विज्ञापन दिया कि उन्हें एक रसोइया, एक चौकीदार और एक ड्राइवर की जरूरत है।
कुछ समय बाद पद्मिनी ने एक ड्राइवर रखा, लेकिन जल्द ही उसके स्वभाव से परेशान होने लगीं। एक दिन जब पद्मिनी शूटिंग से घर लौटीं, तो किसी बात पर बहस के दौरान ड्राइवर ने उन्हें थप्पड़ मार दिया। इस पर गुस्से में उन्होंने उसे तुरंत नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद उस ड्राइवर के मन में बदले की आग जल उठी। उसने रसोइये और चौकीदार के साथ मिलकर घर में चोरी करने और हत्या करने की साजिश रची। 17 अक्टूबर 1985 की रात, ड्राइवर एक बड़ा चाकू लेकर घर में घुसा। मां इंद्रा कुमारी ने जब उसे देखा, तो उसने उन पर हमला कर दिया। चीख सुनकर दौड़ी आई रानी पद्मिनी को देखते ही ड्राइवर ने उनके सीने और शरीर पर 17 बार चाकू से वार किया। रानी पद्मिनी वहीं लहूलुहान होकर गिर पड़ीं। जब तक पड़ोसी पहुंचे, तब तक यह चमकता सितारा हमेशा के लिए बुझ चुका था।
यह खबर जैसे ही फैली, फिल्म इंडस्ट्री और पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। सैकड़ों कलाकारों ने चेन्नई पहुंचकर उनकी अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया। ममूटी और मोहनलाल जैसे कलाकारों ने कहा कि उन्होंने इतनी कम उम्र में इतनी प्रतिभाशाली अभिनेत्री कभी नहीं देखी। पुलिस ने जांच के बाद ड्राइवर और उसके साथियों को गिरफ्तार किया। मुकदमे में ड्राइवर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
रानी पद्मिनी की मौत ने उस दौर में महिला कलाकारों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा किया था। उनकी मां इंद्रा ने बेटी के नाम पर ‘रानी पद्मिनी मेमोरियल ट्रस्ट’ बनाया, जो आज भी गरीब बच्चों को शिक्षा और सुरक्षा से जोड़ने का काम करता है।
रानी पद्मिनी न सिर्फ खूबसूरती की मिसाल थीं, बल्कि मेहनत और संघर्ष की प्रतीक भी थीं। उनकी मौत ने दिखाया कि फिल्मी चमक-दमक के पीछे कितनी असुरक्षा और दर्द छिपा होता है।

Author: Deepak Mittal
