कहानी वही: सरकार बदली, लेकिन सिस्टम नहींकोरबा जिले में DMF घोटाले का सिलसिला जारी..

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Deepak Mittal

जे के मिश्र
ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स 24*7 in
बिलासपुर

कोरबा। कोरबा जिले में डीएमएफ (जिला खनिज न्यास) से जुड़े घोटालों पर एक और परत खुली है। सरकार बदलने के बाद भी यहां भ्रष्टाचार का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। इस बार मामला स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा है, जहां बिना नियमों का पालन किए 215 से अधिक पदों पर संविदा नियुक्तियां कर दी गईं।

आरटीआई कार्यकर्ता लक्ष्मी चौहान के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग ने न तो अखबारों में विधिवत विज्ञापन जारी किया और न ही पदों की पूरी जानकारी सार्वजनिक की। केवल एक प्रेस विज्ञप्ति के जरिए भर्ती प्रक्रिया का प्रचार-प्रसार किया गया।

भर्ती प्रक्रिया पर उठे सवाल

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) की 2018 की मानव संसाधन नीति के तहत भर्ती के लिए दो बड़े समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कराना अनिवार्य था। लेकिन विभाग ने इस नियम की अनदेखी करते हुए केवल एनआईसी की वेबसाइट पर सूचना डालकर औपचारिकता पूरी कर दी। इससे बड़ी संख्या में योग्य उम्मीदवारों तक सूचना नहीं पहुंच सकी और प्रतियोगिता का स्तर भी बेहद कमजोर रहा।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) का पक्ष

सीएमएचओ डॉ. एस. एन. केसरी ने सफाई देते हुए कहा कि जिला स्तर पर गठित चयन समिति द्वारा मानव संसाधन नीति के महत्वपूर्ण बिंदुओं के अनुसार भर्ती की गई है और जनसंपर्क विभाग के माध्यम से सूचना जारी की गई थी। हालांकि, आरटीआई दस्तावेजों से साफ है कि विज्ञापन की प्रक्रिया पूरी तरह से उपेक्षित रही।

विज्ञापन से होती पारदर्शिता

स्वास्थ्य विभाग के भीतर भी चर्चा है कि यदि विज्ञापन जारी किया गया होता तो अधिक उम्मीदवार भाग लेते और प्रतिस्पर्धा होती। इससे विभाग को बेहतर प्रतिभागियों के चयन का अवसर मिलता। लेकिन सीमित सूचना के चलते भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रही, जिससे कई योग्य उम्मीदवार वंचित रह गए।

जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में

डीएमएफ फंड के प्रबंधन में सरपंच से लेकर सांसद तक शामिल हैं। इसके बावजूद लगातार हो रहे घोटालों पर कभी कोई जनप्रतिनिधि सवाल नहीं उठाता। इससे यह संदेह गहराता है कि जनप्रतिनिधि भी इस भ्रष्टाचार में कहीं न कहीं हिस्सेदार हो सकते हैं। यदि फंड का उचित उपयोग होता, तो आज जिले के खनन प्रभावित क्षेत्र के विस्थापितों की आर्थिक स्थिति कुछ और होती।

जांच के आदेश

आरटीआई दस्तावेजों के आधार पर कार्यकर्ता लक्ष्मी चौहान ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को शिकायत भेजी थी। इसके बाद विभाग के अवर सचिव ने स्वास्थ्य सेवा संचालक को इस मामले की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है, ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

कोरबा जिले में यह नया मामला यह सवाल खड़ा करता है कि सरकारें बदलती रहीं लेकिन फंड के दुरुपयोग की प्रवृत्ति जस की तस बनी हुई है। जनता को अब निष्पक्ष और कड़ी कार्रवाई की उम्मीद है।

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Author: Deepak Mittal

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