बिलासपुर में सरस्वती शिशु मंदिर के शिक्षकों को एक साल से नहीं मिला वेतन: आचार्यों ने किया आंदोलन, बच्चों की पढ़ाई ठप

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जे के मिश्र,बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के शिक्षकों को पिछले एक साल से वेतन नहीं मिला है, जिसके चलते आचार्यों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। वेतन न मिलने की समस्या से परेशान होकर शिक्षकों ने 11 नवंबर, सोमवार को कलेक्टोरेट पहुंचकर अधिकारियों से अपनी समस्याएं बताईं। शिक्षकों ने बताया कि वे बच्चों की पढ़ाई को बाधित न करें, इस उद्देश्य से वे नियमित रूप से स्कूल आ रहे थे।

 

कलेक्टर और डीईओ से की शिकायत

 

सरकंडा के अशोक नगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर के शिक्षकों ने स्कूल प्रबंधन के रवैये से तंग आकर कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) से शिकायत की है। शिक्षकों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते उन्हें प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखनी पड़ी।

 

शिक्षक फंड का पैसा जमीन खरीदने में किया इस्तेमाल

 

स्कूल की प्राचार्य गायत्री तिवारी ने जानकारी दी कि पहले जब स्कूल की आर्थिक स्थिति अच्छी थी, तब शिक्षक फंड के पैसों से स्कूल प्रबंधन ने जमीन खरीदी। हालांकि, बाद में छात्रों की संख्या में कमी आई और स्कूल की माली हालत बिगड़ने लगी, जिसके कारण शिक्षकों का वेतन रोका गया।

 

प्रबंधन का रुख उदासीन, शिक्षकों ने शुरू किया प्रदर्शन

 

शिक्षकों ने बताया कि वेतन भुगतान न होने से उनकी पारिवारिक आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा है। इस मुद्दे पर जब स्कूल के व्यवस्थापक दिलीप कुमार शर्मा से संपर्क किया गया, तो उनका फोन नहीं उठा। शिक्षकों ने कई बार वेतन के लिए प्रबंधन से अनुरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

 

धरना-प्रदर्शन कर रहे शिक्षक

 

अब शिक्षकों ने प्रबंधन की अनदेखी से तंग आकर स्कूल के सामने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। शिक्षकों ने कहा कि जब तक उन्हें वेतन नहीं दिया जाता, तब तक वे पढ़ाई का काम बंद रखेंगे। शिक्षकों का कहना है कि अब बिना वेतन के काम करना उनके लिए संभव नहीं है।

 

सरस्वती शिशु मंदिर का परिचय

सरस्वती शिशु मंदिर और सरस्वती विद्या मंदिर का संचालन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अनुशांगिक संस्था विद्या भारती द्वारा किया जाता है। इसकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है और इसे गैर-सरकारी स्तर पर दुनिया के सबसे बड़े प्राइवेट स्कूल नेटवर्क के रूप में जाना जाता है। यहां पुरुष शिक्षकों को आचार्य और महिला शिक्षकों को दीदी कहा जाता है।

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Author: Deepak Mittal

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