नई दिल्ली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन पहली बार भारत आए हैं। पुतिन दुनिया में कुछ चुनिंदा देशों का ही दौरा करते हैं, जिनमें से भारत भी एक है।
वैसे तो पुतिन की गिनती दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं में होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुतिन के हर फैसले के पीछे कौन होता है? इसका जवाब है ‘सिलोविकी सर्किल’
पुतिन की सुरक्षा सुनिश्चित करने से लेकर रूस के हर बड़े फैसले का दारोमदार ‘सिलोविकी सर्किल’ पर है। पुतिन हमेशा ‘सिलोविकी सर्किल’ से घिरे रहते हैं और उनके रहते हुए कोई परिंदा भी पुतिन के आसपास नहीं भटक सकता है।
‘सिलोविकी सर्किल’ क्या है?
‘सिलोविकी सर्किल’ पुतिन के सबसे करीबी 7 लोगों का गुट है। इस लिस्ट में खुफिया एजेंट से लेकर पुतिन के कई विश्वासपात्र सहयोगी शामिल हैं। पुतिन के कठोर कदम और बड़े फैसलों के पीछे भी ‘सिलोविकी सर्किल’ का ही दिमाग होता है। यह सर्किल हमेशा पुतिन के साथ रहता है और पुतिन हर फैसले से पहले ‘सिलोविकी सर्किल’ की राय लेना नहीं भूलते हैं।

सिलोविकी सर्किल के साथ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन। फोटो – X
सिलोविकी सर्किल में कौन-कौन शामिल?
सिलोविकी सर्किल 7 लोगों का समूह है, जिनमें रूसी खुफिया एजेंसी KGB के एजेंट भी शामिल हैं।
- निकोलाई पात्रुशेव – रूस की सुरक्षा परिषद के प्रमुख
- सर्गेई नारिश्किन – रूस की विदेशी खुफिया सेवा (SVR) के प्रमुख
- अलेक्जेंडर बोर्टनिकोव – रूस की घरेलू खुफिया एजेंसी FSB के निदेश
- सर्गेई शोइगु – सैन्य खुफिया प्रमुख
- वालेरी गेरासिमोव – सेना के जनरल
- एंटोन वैनो – रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ
- यूरी कोवलचुक – पुतिन के करीबी, बिना किसी सरकारी पद के परछाई की तरह पुतिन के साथ रहते हैं।
कैसे बना सिलोविकी सर्किल?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुद KGB के एजेंट रह चुके हैं। ऐसे में सिलोविकी सर्किल के ज्यादातर लोग 1990 में पुतिन के साथ काम कर चुके हैं। रूस का राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने सबसे विश्वासपात्र लोगों को रूस का प्रमुख पद दिया और यह लोग हमेशा साए की तरह पुतिन के साथ रहने लगे। इसे ‘सिलोविकी सर्किल’ का नाम दे दिया गया, जिनकी इजाजत के बिना रूस में एक पत्ता तक नहीं हिलता है।
Author: Deepak Mittal










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