ऑपरेशन सिंदूर: राष्ट्रीय सुरक्षा में आत्मनिर्भर भारत की निर्णायक दस्तक
✍ ताराचंद साहू, बालोद जिला
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले ने समूचे भारत को झकझोर कर रख दिया। निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या ने न केवल परिवारों को उजाड़ा बल्कि भारत की सहिष्णुता को भी चुनौती दी। इस हमले का भारत ने जिस सशक्त और संतुलित तरीके से जवाब दिया, उसने एक नए भारत की छवि को पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाया गया “ऑपरेशन सिंदूर” न केवल आतंक के खिलाफ कार्रवाई थी, बल्कि यह भारत की सुरक्षा रणनीति और आत्मनिर्भरता का परिचायक बन गया। यह अभियान भारत की उन आधुनिक रक्षा क्षमताओं का प्रतीक है जो आज ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को मजबूती प्रदान कर रही हैं।
पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
इस हमले में पाकिस्तान से सहायता प्राप्त आतंकियों ने धर्म के आधार पर लोगों की नृशंस हत्या की, जिससे 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। इस नृशंसता का उद्देश्य सांप्रदायिक तनाव फैलाना और भारत को अंदर से कमजोर करना था। परंतु भारत ने तुरंत और निर्णायक प्रतिक्रिया देते हुए ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की।
सटीक सैन्य जवाब: सीमा पार कार्रवाई
भारत ने लाहौर के पास रडार इंस्टॉलेशन को निशाना बनाते हुए गुजरांवाला में एयर डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय कर दिया। इससे पाकिस्तान को रणनीतिक नुकसान हुआ और 10 मई 2025 को दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों के बीच युद्धविराम की सहमति बनी। यह दर्शाता है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं करता, बल्कि सटीक और रणनीतिक जवाब देने की क्षमता रखता है।
कूटनीतिक व आर्थिक प्रहार
भारत ने आतंकवाद को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग कर दिया। सिंधु जल संधि को निलंबित कर भारत ने जल संसाधनों पर अपना नियंत्रण स्थापित किया, जिससे पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा।
इसके साथ ही अटारी सीमा बंद, द्विपक्षीय व्यापार स्थगित, पाकिस्तानी वीजा रद्द और उच्चायोग की सुरक्षा में कटौती जैसे कई सख्त कदम उठाए गए, जो भारत के स्पष्ट और सख्त रुख को दर्शाते हैं।
नवीन युद्ध तकनीक में आत्मनिर्भरता
ड्रोन युद्ध के क्षेत्र में भारत का उदय विशेष उल्लेखनीय है। ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (DFI) द्वारा 2030 तक भारत को वैश्विक ड्रोन हब बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। इससे भारत न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि वैश्विक मार्केट का 12% हिस्सा अपने नाम करेगा।
तीनों सेनाओं का एकीकृत बल
आज भारतीय थल, वायु और नौसेना का एकीकृत ढांचा न केवल हिमालय की ऊँचाइयों की रक्षा कर रहा है, बल्कि समुद्री सीमाओं और आकाशीय हमलों को भी निष्फल करने में सक्षम है। यह संयुक्त शक्ति भारत की संप्रभुता की सबसे बड़ी गारंटी बन चुकी है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर और उससे जुड़े कदम भारत की सैन्य नीति, कूटनीति, तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित हुए हैं। यह दर्शाता है कि आज का भारत न केवल अपने नागरिकों की रक्षा करना जानता है, बल्कि आतंक और आक्रामकता का ठोस और नैतिक जवाब देना भी बखूबी जानता है।
जय हिन्द
✍ ताराचंद साहू, बालोद जिला
