रक्षाबंधन पर डाक विभाग का तोहफा: वाटरप्रूफ राखी लिफाफे और घर बैठे गंगाजल की सुविधा

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दल्लीराजहरा डाकघर तैयार, राखी भेजने के लिए बहनों की बढ़ी भीड़

दल्लीराजहरा।,पवित्र भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व इस वर्ष 9 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। पर्व को लेकर दल्लीराजहरा शहर में रौनक छा गई है। बाजारों में रंग-बिरंगी और डिज़ाइनर राखियों की दुकानों ने बहनों को आकर्षित किया है। वहीं, डाक विभाग ने भी इस अवसर को देखते हुए विशेष तैयारियाँ की हैं ताकि हर बहन अपने भाई तक बिना किसी रुकावट के अपना प्रेम पहुँचा सके।

वाटरप्रूफ राखी लिफाफों और बॉक्स की विशेष व्यवस्था
बारिश के मौसम को देखते हुए डाक विभाग द्वारा पूरी तरह वाटरप्रूफ राखी लिफाफे और विशेष थीम बेस्ड बॉक्स तैयार किए गए हैं। ये लिफाफे मजबूत, टिकाऊ और सौंदर्यपूर्ण डिज़ाइन के साथ उपलब्ध हैं।
छोटा राखी लिफाफा (11×22 सेमी) केवल 10 रुपए में मिल रहा है, जिसमें 1 से 2 राखियां आसानी से भेजी जा सकती हैं।

दल्लीराजहरा डाकघर में फिलहाल 1000 से अधिक लिफाफे उपलब्ध कराए गए हैं। पोस्टमास्टर श्री जयप्रकाश जायसवाल ने बताया कि बहनें भारत के साथ-साथ 106 देशों में स्पीड पोस्ट द्वारा अपने भाइयों को राखी भेज सकती हैं।

राखियों के वितरण की दैनिक व्यवस्था,,
डाकघर द्वारा राखियों की तेज और सुचारू डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिदिन 200 से 300 राखियां प्राप्त की जा रही हैं और उन्हें उसी दिन वितरित भी किया जा रहा है। डाकघर कर्मचारियों द्वारा विशेष निगरानी के साथ डिलीवरी की जा रही है जिससे पर्व की भावनाओं में कोई बाधा न आए।

सावन में भक्ति भाव बढ़ा, डाकघर में गंगाजल भी उपलब्ध
रक्षाबंधन के साथ ही सावन माह में श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु डाक विभाग ने गंगोत्री से लाया गया पवित्र गंगाजल भी उपलब्ध कराया है।
डाकघर में 250 एमएल की गंगाजल की बोतल केवल 30 रुपये में मिल रही है। शिवभक्त इसे घर ले जाकर भगवान शिव के अभिषेक में उपयोग कर रहे हैं।

पोस्टमास्टर श्री जायसवाल ने बताया कि “लोगों की सुविधा को देखते हुए डाक विभाग ने गंगाजल को घर-घर पहुँचाने की योजना शुरू की है। सावन में इसकी मांग कई गुना बढ़ी है और डाकघर पर पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।”

भावनाएं अब नहीं रहेंगी अधूरी
डाक विभाग की इन व्यवस्थाओं से यह स्पष्ट है कि अब बहनों की भावनाएं राखियों के साथ सुरक्षित और तेज़ी से अपने गंतव्य तक पहुँच रही हैं। बारिश हो या दूरी – अब न कोई चिंता, न कोई देरी।

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Author: Deepak Mittal

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