देश के सबसे अमीर इंसान मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) के छोटे भाई अनिल अंबानी (Anil Ambani) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. यस बैंक निवेश के मामले में समझौते की उनकी याचिका को मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने खारिज कर दिया है.
ऐसे में अब अनिल अंबानी को 20 करोड़ डॉलर से ज्यादा के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. सेबी ने ये कहते हुए समझौते की याचिका को खारिज किया है कि इससे निवेशकों की संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है.
दिवालिया होने से पहले 2150Cr का निवेश
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने उद्योगपति अनिल अंबानी की ओर यस बैंक में निवेश से जुड़े आरोपों में समझौते और इनके निपटान को लेकर दायर की गई याचिका को ठुकरा दिया है. सेबी की जांच में सामने आया कि Anil Ambani के रिलायंस म्यूचुअल फंड (Reliance MF) ने यस बैंक के 2020 में दिवालिया होने से पहले उसके अतिरिक्त टियर-1 बॉन्ड में 245.3 मिलियन डॉलर (करीब 21,50 करोड़ रुपये) का निवेश किया था. 2016 और 2019 के बीच किए गए ये निवेश कथित तौर पर Yes Bank द्वारा अंबानी समूह की अन्य कंपनियों को दिए गए कर्जों पर निर्भर थे.
निवेशकों से बाजार तक पर असर
सेबी की जांच के निष्कर्षों से पता चलता है कि Anil Ambani के इन निवेशों को ‘द्विपक्षीय संबंध सौदे’ के रूप में चिह्नित किया गया था. सेबी ने समझौता याचिका को खारिज करते हुए इस बात पर जोर दिया कि रिलायंस म्युचुअल फंड की कार्रवाइयों से निवेशकों की संपत्ति को 208.4 मिलियन डॉलर (करीब 1828 करोड़ रुपये) का भारी नुकसान हुआ है. रेग्युलेटर ने कहा है कि यह पूरा मामला निवेश संबंधी फैसलों के दौरान आंतरिक नीतियों के कथित गैर-अनुपालन से जुड़ा है, जिससे निवेशकों के साथ ही बाजार पर भी प्रभाव पड़ा.
सेबी ने ईडी के साथ शेयर की डिटेल
SEBI की आगे की कार्रवाई में वित्तीय दंड लगाना भी शामिल हो सकता है. रॉयटर्स ने मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों के हवाले से जानकारी देते हुए बताया है कि मार्केट रेग्युलेटर ने अपनी जांच से संबंधित सभी तरह के निष्कर्षों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के साथ भी शेयर किया है.
बता दें कि अनिल अंबानी को यस बैंक के दिवालिया होने के बाद कड़ी जांच का सामना करना पड़ रहा है, जो पहले अंबानी की कंपनियों से जुड़ा एक प्रमुख ऋणदाता था. सेबी के डॉक्युमेंट्स में साफ कहा गया है कि निर्धारित आंतरिक नीति और इससे संबंधित प्रक्रिया के अनुपालन में चूक हुई है और निवेश करते समय आंतरिक जोखिम को भी दरकिनार किया गया है.

Author: Deepak Mittal
